PATNA: कोरोना के बाद पटना में अब डेंगू के डंक का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही बीमार बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है। अब तक एम्स, आरएमआरआई (राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट), पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल), एनएमसीएच (नालंदा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल), आईजीआईएमएस (इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) से लेकर न्यू गार्डिनर और प्राइवेट में 35 से अधिक पेशेंट भर्ती हो चुके हैं। डेढ़ सौ से अधिक जगहों से आरएमआरआई डेंगू लार्वा का सैंपल ले चुका है। बावजूद इसके फॉ¨गग और एंटी लार्वा छिड़काव को लेकर पटना नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया और फाइलेरिया विभाग आदि गंभीर नहीं हैं।

बचाव के उपाय में लापरवाही

जुलाई में पहली बार गायघाट में डेंगू मच्छर का लार्वा मिला था। इसके बाद से जिला स्वास्थ्य समिति जहां महामारी पदाधिकारी का कार्यालय है, से लेकर 150 से अधिक जगहों पर डेंगू मच्छरों के लार्वा मिल चुके हैं। जुलाई से अबतक बेक्टरबोर्न डिजीज से जुड़े स्टाफने 750 से अधिक जगहों का सर्वेक्षण किया है।

एम्स में चार पेशेंट की पुष्टि

एक दिन में एम्स में चार और आरएमआरआई में तीन रोगियों में डेंगू की पुष्टि के बाद मलेरिया विभाग ने नौबतपुर, फुलवारीशरीफ, रामकृष्णा नगर, महावीर कालेज, पल्लवीनगर और अगमकुआं क्षेत्र में फा¨गग व एंटी लार्वा छिड़काव के निर्देश दिए, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार धरातल पर यह हुआ नहीं था। मलेरिया व स्वास्थ्य विभाग की टीमें मोहल्लों में जाकर सर्वे कर रही हैं।

अक्टूबर तक खतरा

अगस्त में जलजमाव से डेंगू मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है। अक्टूबर मध्य तक संक्रमित मिलते रहते हैं। पूर्व के वर्षों के आंकड़ों के आधार पर डेंगू के ज्यादा रोगी अगस्त व सितंबर में सामने आते हैं।

डेंगू के लक्षण

तेज बुखार, सिर, मासंपेशियों व जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी, भूख न लगना, जी मिचलाना, शरीर पर चक्कते, गंभीर मामलों में नाक-मुंह, मसूड़े और मल से खून आना।

ये बरतें सावधानी

मच्छरदानी लगाकर सोएं, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें, दिन में भी मास्कीटो क्वायल या रिपेलेंट का प्रयोग करें, अपनी मर्जी से सिवाय पारासिटामाल के कोई दवा नहीं लें।

बढ़ रही बीमार बच्चों की संख्या

पटना में बीमार बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक्सपर्ट की माने तो तेज बुखार, सांस फूलना, सर्दी-खांसी यानी कोरोना के लक्षण हैं, लेकिन आरटी-पीसीआर, एंटीजन या एंटीबाडी से लेकर डेल्टा वैरिएंट तक की जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। इस स्थिति में डॉक्टर लक्षणों के आधार पर वायरल फीवर, कोरोना या मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी ¨सड्रोम (एमआईएस-सी) मान कर इलाज कर रहे हैं। पटना में ऐसे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पीएमसीएच और आईजीआईएमएस में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है। विशेषज्ञ इसके अलग-अलग कारण बता रहे हैं। कुछ का कहना है कि आरटी-पीसीआर जांच में 30 परसेंट तक गलत रिपोर्ट आ सकती है तो कुछ का कहना है कि कोरोना के विभिन्न वैरिएंट की पुष्टि करने वाली जांच किट ही अभी विकसित नहीं हुई है।

फाइलेरिया विभाग को जलजमाव या जिन इलाकों में डेंगू मच्छर के लार्वा मिले थे, वहां एंटीलार्वासाइड्स का छिड़काव को कहा गया है। निगम के अधिकारियों को स्थल चिह्नित कर सूची भिजवाई जा रही है ताकि नियमित फॉ¨गग हो सके।

-डॉ। विभा कुमारी सिंह, सिविल सर्जन