PATNA :

शक्तिपीठ मंदिर बड़ी पटनदेवी में बुधवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी। महंत विजय शंकर गिरी व भोलू गिरी ने मंगला आरती किया। इसके बाद भक्तों ने लाइन में लग कर भगवती का दर्शन-पूजन किया। बड़ी पटन देवी के महंत विजय शंकर गिरी ने बताया कि सुरक्षा के ²ष्टिकोण से सप्तमी से नवमी तक सीसीटीवी कैमरों से भक्तों की भीड़ पर नजर रखी जाएगी। उधर शक्तिपीठ छोटी पटनदेवी, अगमकुआं शीतला माता मंदिर, सर्व मंगला देवी मंदिर गुलजारबाग में भगवती की अराधना में भक्त जुटे हैं।

मारूफगंज में महापंचमी पूजा आज

मारूफगंज में बुधवार को श्री बड़ी देवी की महापंचमी पूजा के बाद दुर्गा देवी बोधन आमंत्रण अधिवास का अनुष्ठान हुआ। प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार तथा उपाध्यक्ष संत कुमार गोलवारा ने बताया कि गुरुवार को महाषष्ठी पूजा होगी। वहीं शारदीय दुर्गा देवी व देवी आमंत्रण अधिवास का अनुष्ठान होगा। उधर महाराजगंज श्री बड़ी देवी प्रबंधक समिति के अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता व सचिव विनोद कुमार ने बताया कि धार्मिक अनुष्ठान के बिल्बा अधिवास का अनुष्ठान होगा।

मां कात्यायनी की पूजा से शक्ति संचार

शारदीय नवरात्र के छठे दिन माता के षष्टम स्वरूप कात्यायनी देवी के रूप में पूजा की जाएगी। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कात्यायनी माता के बारे में बताया कि इस देवी का स्वरूप अत्यंत दिव्य, चमकीला और प्रकाशमान है। माता की चार भुजाएं हैं। देवीश्री के दाहिने ओर का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुसज्जित है।

देवी कात्यायनी की उत्पत्ति

आचार्य राकेश झा ने स्कंद पुराण के हवाले से बताया कि देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति परमपिता परमेश्वर के नैसíगक क्रोध से हुई थी। वहीं वामन पुराण के अनुसार सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को बाहर निकालकर कात्यायन ऋषि के आश्रम में इकट्ठा किया और कात्यायन ऋषि ने उस शक्तिपूंज को एक देवी का रूप दिया। जो देवी पार्वती द्वारा प्राप्त सिंह पर विराजमान थी। कात्यायन ऋषि ने रूप दिया इसलिए वो देवी कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुई और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया।

रोग, शोक का होगा नाश

देवी कात्यायनी की पूजा करने से भक्तजनों में शक्ति का संचार होता है और वो इनकी कृपा से अपने दुश्मनों का संहार करने में सक्षम हो पाते हैं। इनकी पूजा से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं। देवी कात्यायनी की पूजा से रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश हो जाता है। देवी कात्यायनी की पूजा करने से हर तरह का भय भी दूर हो जाता है।

प्रदोष काल में इस देवी का पूजन श्रेष्ठ

माता कात्यायनी की पूजा प्रदोष काल यानी गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है। इनकी पूजा में शहद का प्रयोग विशेष रूप से जरूर किया जाता है, क्योंकि इस देवी मां को शहद बहुत प्रिय है। शहद युक्त पान का भोग, लाल रंग के वस्त्र माता को अर्पण किया जाता है ।

देवी कात्यायनी का पूजा मंत्र

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।

कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी ?