-शिक्षकों की कमी और तकनीकी सुविधाएं नहीं होना मुख्य वजह

-चंचल छात्रों को राजनीति के बदले स्पो‌र्ट्स से जोड़ना जरूरी

PATNA : बिहार में जो कुछ चमकीला और सर्वोत्तम है वह पटना यूनिवर्सिटी की देन है। जब आप पीयू ऑफिस इंटर करते हैं तो सबसे पहले इन्हीं वाक्यों से सामना होता है। काफी हद तक खीचीं गई पीयू की यह छव सही भी है लेकिन वर्तमान में इसमें काफी बदलाव आया है। पहले स्टूडेंट की संख्या कम थी और शिक्षक भी पर्याप्त थे। साथ ही पढ़ाई का तरीका पारंपरिक होने से न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे भारत में 7 सबसे पुराने यूनिवर्सिटीज में पीयू का नाम था। लेकिन यह व्यवस्था अब उलट है, स्टूडेंट करीब ख्0 हजार हैं और उसे पढ़ाने वाले शिक्षक मात्र ख्भ्0 के करीब हैं।

शिक्षा का राजनीतिकरण न हो

इसके अलावा तकनीकी सुविधाएं नहीं होने से भी पीयू पिछड़ रहा है, ऊपर से भ्रष्टाचार और टीचर पॉलिटिक्स ने उच्च शिक्षा स्तर को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बातें आई नेक्स्ट की ओर से शनिवार को पीयू में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर आयोजित परिचर्चा में निकल कर सामने आई। साथ ही बहुत से ऐसे मामले आए जिस पर समय रहते प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं किया गया तो पीयू को भगवान भी नहीं उवार सकते। पेश है परिचर्चा रूपी मंथन से निकली ये प्रमुख बातें

बहुत सी बातें है, जबतक एक साथ नहीं बैठेंगे हल करना कठिन है। यह सिस्टम का दोष है, सबसे पहले पीयू में बच्चों का सेमिनार आयोजित कर उनकी समस्याएं समझने की जरूरत है। इसके बाद ही बिहार में उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार संभव है।

-अमित कुमार, स्कूल संचालक

आज गुरु-शिष्य का दायरा भंग हो गया है, कुछ टीचर ही बच्चों का गलत यूज कर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। उकसावे में छात्र गोलीबारी करने लगते हैं। इससे बचने के लिए संस्कारों को पुनजिर्वित करना होगा। इसके लिए समन्वय और संवाद आवश्यक है।

-बबलू कुमार प्रकाश, समाजसेवी

वीसी अपनी सुरक्षा ले लगे रहते हैं और छात्रों की चिंता नहीं करते। छात्रों का आंदोलन सही होने के बाद भी उसे दबाया जाता है। पेरेंट अपने बच्चे को अच्छी तरह समझते हैं इसलिए टीचर-पेरेंट्स मीटिंग जरूरी है। पीयू में छात्र संघ चुनाव जल्द होना चाहिए।

-हिमांशु कुमार सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, सीवाईएसएस, बिहार