पटना (ब्यूरो)। पैरा बैडमिंटन में दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी और बिहार के लाल प्रमोद भगत को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया। सैटरडे का दिन उनकी जिंदगी का ऐतिहासिक क्षण रहा, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कर-कमलों से देश के सबसे बड़े खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड से उन्हें नवाजा गया। वे दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में यह अवार्ड प्राप्त कर रहे थे और उनका पैतृक गांव विशुनपुर वसंत, हाजीपुर (बिहार) में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद एक बार फिर उत्सवी माहौल से सराबोर रहा। विशुनपुर वसंत छठ पोखर टोला के ग्रामीणों ने टीवी पर उन्हें यह सम्मान प्राप्त करते हुए लाइव देखा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत में उनके छोटे भाई शेखर भगत ने कहा कि वह बेहद जुझारू तरीके से खेल में पूरा समय देते रहे और कभी भी दिव्यांगता को लेकर भय या कमजोरी का अहसास नहीं था। उनका कहना है - 'संघर्ष से डरना नहीं, लक्ष्य पाने तक रूकना नहींÓ। वे विषम परिस्थितियों में भी बेहद सहज भाव से खेल के प्रति समर्पित रहे और दुनिया के शीर्ष पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी होने का सम्मान अर्जित किया। मेजर ध्यानचंद अवार्ड इस वर्ष देश के 12 खिलाडिय़ों को दिया गया है, प्रमोद उनमें शामिल हैं।

रोल मॉडल बन गए
बिहार पैरा ओलंपिक कमेटी के फाउंडर मेंबर और पूर्व नि:शक्तता आयुक्त डॉ शिवाजी कुमार ने कहा कि आज तक बिहार से किसी सामान्य खिलाड़ी को भी मेजर ध्यानचंद अवार्ड पाने का गौरव प्राप्त नहीं है। लेकिन एक दिव्यांग खिलाड़ी प्रमोद भगत ने इस सपने को सच कर दिखाया। वह बिहार के 51 लाख दिव्यांगजनों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। उसकी असाधारण प्रतिभा को देखते हुए बिहार पैरा ओलंपिक कमेटी ने नेशनल में आगे बढ़चढ़कर खेलने के लिए प्रेरित किया। यह सुखद पल है।

पोलियो से ग्रसित हो गए थे
महज चार वर्ष के थे प्रमोद, उसी दौरान उन्हें पोलियो हो गया था। परिवार गरीबी की वजह से इसका इलाज नहीं करा सका। बेहतर इलाज की सोच के साथ और परिवार की बेहद करीबी उनकी बुआ कुसुम देवी ने उनकी मां मानती देवी और पिता रामा भगत से आग्रह कर अपने साथ भुवनेश्वर (ओडिशा) लेकर गई। वहीं पढ़ाई -लिखाई हुई। उनके भाई शेखर ने बताया कि बचपन से ही प्रमोद को स्पोट्र्स में बहुत रुचि थी। उनके स्पोटर्स में मुकाम हासिल करने की शुरुआत यहीं से हुई। उन्होंने नेशनल में ओडिशा बैडमिंटन टीम का प्रतिनिधित्व किया। वह ओडि़शा से कई बार खेल चुके हैं।

अब पॉजिटिविटी से बढ़े बिहार
बिहार और देश के शीर्ष पारा स्वीमर और भारत सरकार से वर्ष 2020 के लिए दिव्यांग श्रेणी में बेस्ट स्पोटर्स पर्सन अवार्ड से सम्मानित शम्स आलम शेख ने प्रमोद भगत और शरद कुमार को ढेर सारी बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी शुरूआत है। अब जरूरत यह है कि बिहार सरकार भी दिव्यांग खिलाडिय़ों को सपोर्ट करने के लिए आगे आए। उन्होंने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित और मुजफ्फरपुर (बिहार) निवासी पारा एथलीट शरद कुमार को बधाई दी।

15 वर्ष में खेला था पहला टूर्नामेंट
प्रमोद महज 15 वर्ष के थे तब उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट खेला था। वे सामान्य श्रेणी के खिलाडिय़ों के साथ खेल रहे थे। इसी दौरान वे पहली बार बड़ी चर्चा में आए और फिर सिलसिला बनता गया। उन्होंने जकार्ता एशियाड में स्वर्ण समेत कई अंतरराष्ट्रीय पदक भी जीते। प्रमोद बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। रामा भगत किसान, मां मानती कुशल गृहणी और एक बड़ा भाई भुवनेश्वर में इलेक्ट्रिक दुकान चलाता है।

प्रमोद की उपलब्धियां
01 स्वर्ण पदक पैरालिंपिक
04 स्वर्ण, एक रजत व एक कांस्य पदक पैरा वल्र्ड चैंपियनशिप
01 स्वर्ण, दो कांस्य पदक पैरा एशियन गेम्स
02 स्वर्ण, एक रजत पैरा वल्र्ड गेम्स
01 स्वर्ण, एक कांस्य पैरा एशियाड
प्रमोद को ओडिशा सरकार की ओर से अर्जुन और बीजू प