पटना ब्‍यूरो।अपने क्लिनिक में काम करने वाली नाबालिग लड़की को लेकर भागने के मामले में कोर्ट ने ग्रामीण डॉक्टर को 20 साल और 4 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने डॉक्टर को चार लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ 20 हजार और 8 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना नहीं भरने की सुरत में छह माह अधिक सजा काटनी होगी।

क्लिनिक में सीखने जाती थी नाबालिग
ग्रामीण डॉक्टर धनंजय कुमार जहानाबाद के मखदुमपुर थाना के मंझौस का रहने वाला है। पटना में रह कर वह क्लिनिक चलाता था। धनंजय पीडि़ता के मकान में रेंट पर रहता था। वहीं पास में ही उसकी क्लिनिक थी। नाबालिग उसके क्लिनिक में सीखने के लिए जाती थी। जहां वह आने वाले मरीजों को सुई और दावा देती थी।

बहला फुसलाकर भगाया था नाबालिग को
रोज की तरह नाबालिग काम करने के बाद क्लिनिक से वापस शाम तक अपने घर आ जाती थी। एक शाम वह क्लिनिक से काम करने के बाद आती है। फिर अपने कमरे में चली जाती है। सुबह में उसके कमरे का दरवाजा खुला था। लेकिन वह अपने कमरे में मौजूद नहीं थी। वहीं धनंजय भी अपने कमरे में मौजूद नहीं था। काफी खोजबीन करने के बाद नाबालिग नहीं मिली तब पिता ने धनंजय के खिलाफ 8 जुलाई 2021 को शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने अपने नाबालिग बेटी को बहला फुसलाकर भगाने का आरोप लगाया था।

अपहरण, एससीएसटी एक्ट में दर्ज हुआ था मामला
पुलिस ने 363 और पोक्सो एक्ट के अलावे एससीएसटी एक्ट में मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की थी। नाबालिग को बरामद करने के बाद धनंजय को जेल भेज दिया गया था। चार सालों के ट्रायल के बाद कोर्ट ने इस मामले में 13 मार्च को धनंजय को दोषी करार दिया है। जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया है। लोक अभियोजक मो गयासुद्यीन ने बताया है कि इस मामले में एक्ट 363 में चार साल की सजा और 8 हजार का जुर्माना लगाया है। वहीं पोक्सो एक्ट के तहत 20 साल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावे 20 हजार की जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना नहीं देने की स्थिति में छह माह सजा अधिक चलेगी। वहीं कोर्ट ने डॉक्टर को चार लाख पीडि़ता को देने का आदेश दिया है।