- बिहार छोड़ दूसरे प्रदेश गए लोगों का दर्द छलका

- रोजगार और पढ़ाई बीच में छोड़ घर वापसी का लोग ले रहे निर्णय

PATNA :

देश भर में कोरोना विस्फोट के बाद से एक बार फिर से रिवर्स माइग्रेशन यानी घर वापसी का दौर शुरू हो गया है। कोरोना के खतरे की दहशत हर किसी के मन में घर कर गई है और लोग आनन-फानन में अपने घर लौटने का निर्णय ले रहे हैं।

कंधे पर बैग, मुंह पर मास्क लगाए यात्री दानापुर, पाटलिपुत्र, राजेंद्र नगर और पटना स्टेशन पर कोरोना जांच के बाद बाहर निकलने वाले यात्रियों के चेहरे पर रोजगार छूटने का गम साफ देखा जा सकता है। यात्री बताते हैं कि कोरोना ने कमर तोड़ दी। इस बार तो मुंबई में संक्रमण काफी खतरनाक स्तर चरम पर है। अस्पतालों में बेड नहीं हैं। घंटों लाइन में लगने के बाद जांच होती है। लॉकडाउन का एलान नहीं किया गया, लेकिन हालात उससे कम भी नहीं हैं।

कई यात्रियों ने तो कहा कि वे पिछले साल के अनुभवों से ज्यादा डरे हुए हैं। बड़ी मुश्किल से एक बार फिर से कारोबार दोबारा शुरू किया था, लेकिन बंद करना पड़ा। बचे हुए रुपए भी खत्म होने लगे थे। कई बार प्रयास के बाद कंफर्म टिकट मिला। वहां से अपने प्रदेश वापसी के टिकट के लिए लोगों में मारामारी मची हुई है। हालात काफी खराब हैं। जल्दी वहां सब कुछ सही नहीं हुआ तो बिहार में ही नए सिरे से रोजगार, कारोबार शुरू करेंगे। मुम्बई, दिल्ली, गुवाहाटी, भटिंडा, नोएडा, लखनऊ, कोलकाता और देश के तमाम दूसरे शहरों से हजारों की संख्या में लोग लौट रहे हैं।

पढ़ाई और रोजगार पर असर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने दानापुर स्टेशन जाकर विभिन्न प्रदेशों से पटना लौटने वाले लोगों का हाल-चाल लिया। इसमें एक बात उभर कर सामने आई कि जो भी वापस लौट रहे हैं वे अचानक ही पटना लौट रहे हैं। जबकि उनकी इंजीनियरिंग, मेडिकल और पॉलिटेक्निक जैसी महत्वपूर्ण प्रोफेशनल पढ़ाई जारी थी। इसी प्रकार, बाहर गए फैक्ट्री और बडे़ इंडस्ट्रियल यूनिट में काम करने गए लोग भी लौट रहे हैं।

जिंदगी रह जाए, बस यही लक्ष्य

दानापुर स्टेशन से लौटे लोगों ने कोरोना की भीषण लहर के बीच वापस आने का निर्णय किया। जबकि इससे उन्हें आर्थिक नुकसान सहना पड़ रहा था। दानापुर स्टेशन पर गुवाहाटी से लौटे पैसेंजर गणेश यादव ने बताया कि मेरे मन में केवल एक ही बात है। बीते साल का अनुभव सामने है और आगे स्थिति और बिगड़ने का डर। इसलिए अभी बेहतर काम करने की बजाय खुद और परिवार को स्वस्थ्य रखना ही उनके लिए इससे बड़ा लक्ष्य है। वहीं, ट्रेन नंबर 02362 से सतना से पटना लौटे चंद्रपकाश ने बताया कि वे सीमेंट फैक्ट्री में काम कर रहे थे। होली के तुरंत बाद सतना गए थे। लेकिन आज पटना लौट आया हूं।

काम बंद होने का डर था

ट्रेन नंबर 05646 गुवाहाटी -लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से लौटे रामवीर महतो ने बताया कि वे गुवाहाटी में एक टिंबर फार्म में काम कर रहे थे। लेकिन देश भर में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए काम बंद होने का डर सता रहा था। इसलिए काम छोड़कर यहां लौट आए। अब यहां ही कुछ काम की तलाश करूंगा।

वायस

पंजाब के भटिंडा गया था लेकिन यहां पर भी मामले तेजी से बढ़ रहे थे और इसलिए वापस आने का निर्णय किया। आने वाला समय अनिश्चित है। इसलिए अचानक ही लौट आया।

- रंजीत मंडल

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मैं भटिंडा के एक फैक्ट्री में काम करता हूं। लेकिन कोरोना की वजह से अभी कुछ दिनों के लिए यहां आया हूं। यदि माहौल ठीक रहा तो जल्द ही काम पर लौटने का निर्णय करूंगा।

- बिरजू

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मैं मथुरा के एक प्राइवेट संस्थान से पॉलीटेक्निक की पढ़ाई कर रहा हूं। पढ़ाई अभी चल ही रही है। लेकिन मैं पढ़ाई को छोड़ वापस आ गया हूं। कोरोना ही लौटने की मुख्य वजह है।

- हर्षराज

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मेरे साथ करीब एक दर्जन स्टूडेंट्स लौट आए हैं। जो कि पॉलिटेक्निक की पढ़ाई मथुरा में कर रहे थे। अब पटना लौट आया हूं। कोरोना की स्थिति में कुछ सुधार हो तो लौट जाऊंगा।

- प्रियांशु

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बाहर से आ रहे पॉजिटिव मामले

कोरोना कंट्रोल और ऐहतियात को लेकर पटना जक्शन समेत विभिन्न स्टेशनों पर कोरोना की जांच की जा रही है। सोमवार को लोकमान्य तिलक टर्मिनल मुम्बई से पाटलिपुत्र ट्रेन से दानापुर रेलवे स्टेशन पर 648 लोगों की जांच की गई। इसमें 13 पैसेंजर पॉजिटिव मिले.इसी प्रकार, पटना जंक्शन पर लोकमान्य पटना एक्सप्रेस से आने वाले 597 लोगों की जांच की गई। इसमें से 22 की रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई है।