हाथी के अंदर हाथी और उसके अंदर भी हाथी। कैमूर के फिरंगी लाल गुप्ता की पत्थर पर की गई नक्काशी देश के साथ विदेश में भी कौतूहल बनी है। पटना (ब्यूरो)। भारत के साथ अमेरिका, इंग्लैंड, थाइलैंड, जापान और जर्मनी तक में उनके पत्थर के हाथी यात्रा कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के मार्बल खोड़ही पत्थर से वह दस कुंतल से लेकर एक सेमी से कम का भी हाथी बना चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनकी इस कला के मुरीद हैं। इन दिनों उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान में उदीयमान शिल्पियों को कला की बारीकियों से अवगत करा रहे 56 वर्षीय फिरंगी लाल करीब तीस साल से स्टोन कार्बिन अंडर कट विधा पर काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि भगवान गणेश का रूप मानकर कद्रदान हाथी घर ले जाना चाहते हैं। देश-विदेश में हाथी की मांग इतनी है कि वह पूरा नहीं कर पा रहे। कहते हैं कि अगर मैं असली हाथी भी पालता तो शायद इतनी यात्रा न कर पाता। पत्थर वाले हाथी तो मुझे विदेश में चीन, मारीशस तो भारत के दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, ओडिशा के साथ अनेक शहरों की सैर करा चुके हैं।

एक हाथी बनाने में लगते हैं छह दिन

फिरंगी बताते हैं कि मार्बल खोड़ही पत्थर को लकड़ी काटने वाली आरी से भी काटा जा सकता है। थ्री लेयर हाथी बनाने के लिए पहले एक बड़े हाथी को आकार दिया जाता है। उसके बाद उसे पर हैंडल कटर से छोटे-छोटे छेद करके दूसरा और तीसरा हाथी बनाया जाता है। एक हाथी बनाने में छह दिन लगते हैं। इसके साथ फिरंगी सिर हिलाने वाला पत्थर का कछुआ, डायनासोर के अंदर डायनासोर उसके अंदर अंडा आदि चकित करने वाली चीजें बना चुके हैं।

नीतीश और कोविन्द भी हुए थे आश्चर्यचकित

फिरंगी बताते हैं कि मारीशस की यात्रा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके बनाए हाथी ले गए थे। मारीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम को जब थ्री लेयर हाथी भेंट किया गया तो उन्होंने इसके निर्माण का तरीका पूछा। उस समय सीएम के साथ अन्य मंत्री व अधिकारी नहीं बता पाए। इसके बाद कैमूर में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर बुलाकर नीतीश ने फिरंगी को अपने बगल में बैठाया और आधे घंटे तक कला को समझा और बातें कीं। दिल्ली में उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान द्वारा लगाए गए बिहार पवेलियन की यात्रा के दौरान बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविन्द और उनकी पत्नी के लिए भी हाथी कौतूहल बने।