पटना ब्‍यूरो। विशेष आवश्यकता वाले वच्चों और व्यक्तियों में निजी-कौशल के साथ-साथ सामाजिक-कौशल के विकास पर भी बल दिया जाना चाहिए.उनमें यह भावना विकसित की जानी चाहिए कि वे किस प्रकार अपने जैसे व्यक्तियों तथा समाज के अन्य लोगों के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं.सामाजिक-विकास के अभाव में किसी के निजी विकास का कोई अर्थ और मूल्य नहीं हो सकता है।

इस प्रकार के विचार, भारतीय पुनर्वास परिषद के सौजन्य से, इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, शुक्रवार को आरंभ हुए, तीन दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने व्यक्त किए। विशेष बच्चों में निजी और सामाजिक कौशल विकास विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में अपना विज्ञानिक पत्र प्रस्तुत करती हुई आर्मी आशा स्पेशल स्कूल की प्राचार्या और विशेष शिक्षिका कल्पना झा ने कहा कि विशेष बच्चों को सक्षम बनाने और उनमें कौशल विकास के लिए हमें विशेष चेष्टा करनी चाहिए.मनोवैज्ञानिक डा नीरज कुमार वेदपुरिया ने कहा कि हर व्यक्ति को, अपना जीवन जीने के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकता होती है। उन्हीं में कुछ मनोवैज्ञानिक बिंदु भी होते हैं। व्यक्ति की मानसिक अवस्था का उसके कार्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि, आज के युवाओं को यह समझना होगा कि केवल निजी विकास की कामना स्थायी लाभ नही दे सकती। सामाजिक विकास के अभाव में किसी व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के विकास से किसी का हित नहीं हो सकता।

मौके पर औडियोलौजिस्ट डा ज्ञानेन्दु कुमार प्रो मधुमाला, प्रो संजीत कुमार, प्रो देवराज, डा आदित्य ओझा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।