पटना (ब्यूरो)। विश्व गौरैया दिवस पर सोमवार को संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना जू में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के तौर पर बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री तेजप्रताप यादव मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि गौरैया के फुर्र होने से घर-आंगन सूना हो गया है। पुन: घर-आंगन में लौटाने के लिए राज्य के कोने-कोने में अभियान चलेगा। लोग दाना-पानी रखें और गौरैया का संरक्षण करें। इसकी संख्या में वृद्धि होगी। इसकी चहचहाहट आनंददायक है। उन्होंने कहा कि इसके संरक्षण के लिए राज्य भर में अभियान चलेगा। उन्होंने कहा कि मेरी नानी गांव में जहां सोती थी, उसके ऊपरी भाग में गौरैया रहती थी। वह कहती थी, देखो गौरैया। मेरे आवास में भी गौरैया के लिए घोसला लगाया गया है। कभी कौआ तो कभी कबूतर आ जा रहा है। वहां बिल्ली भी पहुंच जा रही है। माहौल मिलने पर गौरैया आने लगेगी। मंत्री तेज प्रताप यादव राजकीय पक्षी गौरैया पर बुकलेट, एशियान वाटर बर्ड सेंसेस 2022 पुस्तक के वार्षिक रिपोर्ट और गौरैया विशेषज्ञ संजय कुमार की पुस्तक ओ री गौरैया का विमोचन किया। गौरैया पर आधारित लगे स्टॉल का भ्रमण किया। गौरैया को बचाने के लिए सत्याग्रह पर बैठे बच्चों का सत्याग्रह तोड़वाए। बच्चों की तरफ से गौरैया के संरक्षण के लिए लगाए गए घोंसले का निरीक्षण किया। थ्री डी थियेटर कैंपस में बच्चों की तरफ से गौरैया संरक्षण पर नुक्कड़ नाटक का भी मंचन किया।

पक्षियों के वातावरण से छेड़छाड़ न करें : प्रधान सचिव

पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अरङ्क्षवद कुमार चौधरी ने पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण दें। उससे छेड़छाड़ न करें। उन्होंने कहा कि गर्मी शुरू होने वाली है। घर में दाना-पानी रखकर पक्षियों का संरक्षण करें। जून तक भोजन और पानी से परेशानी होती है। मंत्री के नेतृत्व में पक्षियों और जीव जंतु के संरक्षण का कार्य चल रहा है।

जैव विविधता के संरक्षण से पक्षियों का होगा संरक्षण : मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक

प्रधान मुख्य संरक्षक सह मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक प्रभात कुमार गुप्ता ने कहा कि घरेलू गौरैया सहित पक्षियों की संख्या में कमी आ रही है। जैव विविधता के संरक्षण से पक्षी का भी संरक्षण होगा। गौरैया का संरक्षण जरूरी हो गया है। गौरैया के कलरव से शांति मिलती है। विकास के दौर में वनस्पतियां, जीव-जंतु लुप्त होते जा रहा रहे हैं। इस कारण भी विभिन्न प्रकार के वायरस फैल रहे हैं। प्रकृति में रहने वाली पक्षी का शिकार हो रहा है। लोग संकल्प लें कि छोटी पक्षियों का मांस सेवन नहीं करेंगे। गौरैया विशेषज्ञ संजय कुमार ने गौरैया का संरक्षण नहीं हुआ तो लुप्त हो जाएंगी। इनकी संख्या में कमी आ रही है। प्राकृतिक माहौल उन्हें नहीं मिल रहा है। अपने बच्चों के भोजन के लिए कीड़ा ढूंढ नहीं पाती है। धन्यवाद ज्ञापन संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक सत्यजीत कुमार ने दिया। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक परिस्थितिकी सुरेंद्र ङ्क्षसह, गांगेय डाल्फिन रिसर्च सेंटर के अंतरिम निदेशक गोपाल शर्मा सहित अन्य मौजूद थे।