पटना ब्यूरो। अगर आपके बच्चे को मिर्गी की शिकायत है तो सड़कों पर अकेले न जाने दें। वाहनों की संख्या बढऩे के साथ दुर्घटनाएं भी हो रही हंै। सड़क दुर्घटनाओं में कई मरीज मिर्गी से पीडि़त मिल रहे हैं। इतना ही नहीं लड़कियों में अगर मिर्गी की शिकायत है तो उन्हें सोडियम वैल्प्रोएट न दें। इससे न सिर्फ उनके पीरियड में परेशानी हो सकती है बल्कि ओबरी की समस्या भी हो सकती है। गर्भधारण करने पर शिशु के हाथ-पैर और सर बनने में परेशानी होती है। उम्रदराज की अपेक्षा बच्चों में मिर्गी की शिकायत ज्यादा मिल रही है ये हम नहीं आईजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से की गई स्टडी बता रही है। अंतराष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर पढि़ए खास रिपोर्ट।
लड़कियों को न दें सोडियम वैल्प्रोएट आईजीआईएमएस के न्यूरो विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। अशोक कुमार ने बताया कि मिर्गी पर अस्पताल के डॉक्टर लगातार स्टडी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लड़कियों को अगर मिर्गी का दौरा पड़ रहा है तो उन्हें सोडियम वैल्प्रोएट न दें। उन्होंने बताया कि सोडियम वैल्प्रोएट से मिर्गी में तत्काल लाभ मिलता है मगर इसका साइड इफेक्ट बहुत खतरनाक है। 50 से अधिक मरीजें पर हुए स्टडी के मुताबिक मिर्गी के दौरान सोडियम वैल्प्रोएट लेने वाली लड़कियों का मासिक चक्र बिगडऩे की शिकायत मिली है। साथ ही कई मामले ऐसे भी देखने को मिला है जिसमें लड़कियों को ओबरी की समस्या बढ़ गई है। शादी के बाद गर्भधारण करने पर ऐसे महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक विकास रुक जाता है। उन्होंने बताया कि गर्भस्थ शिशु में कईयों का सिर नहीं बना है तो कई का हाथ-पैर नहीं बनने की बातें सामने आई है।
बच्चों में इंफेक्शन प्रमुख वजह
डॉ। अशोक कुमार ने बताया बच्चों में मिर्गी से कैसे बचाव करें इसे लेकर रिसर्च शुरू हुआ है। अभी अस्पताल की ओर डेटा कलेक्ट की जा रही है। अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों में 60 फीसदी मामले एक से दस साल के उम्र के बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में मिर्गी होने का प्रमुख कारण इंफेक्शन है। बच्चों में बुखार के साथ मिर्गी का दौरा पड़े तो इसे फेबेरायल सीजर कहते हैं, ऐसी स्थिति में बच्चों को दवा न देकर ठंडा पानी दें।
ब्रेन टीबी भी प्रमुख कारण
डॉक्टरों ने बताया कि मैनिंजाइटिस से पीडि़त बच्चों में भी मिर्गी की समस्या देखने को मिल रहा है। इसके अलावा ब्रेन टीबी के मरीजों को पडऩे वाले मिर्गी का दौरा जानलेवा हो सकती है। डॉक्टरों ने बताया कि ऐसे मरीज को एक से दो घंटे तक दौरा पड़ सकता है, जो प्राणदायक होता है। पांच मिनट से ज्यादा दौरा पडऩे पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें। आईजीआईएमएस के डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल में हर दिन आठ से दस मरीज मिर्गी की समस्या को लेकर आ रहे हैं।
सड़क दुर्घटना में 20 फीसदी मरीज मिर्गी के
शहर के डॉक्टरों ने बताया कि शहर में सड़क दुर्घटनाओं तेजी से बढ़ी है। जिसमें दस फीसदी मरीज मिर्गी रहते हैं। ऐसे मरीजों को अकेले वाहन चलाने रोकना चाहिए। डॉक्टरों ने बताया कि दूसरी बीमारियों की तरह ही मिर्गी पर भी आसानी से काबू पाया जा सकता है। लोगों में जानकारी नहीं होने के कारण इसको लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं। अगर समय पर मरीजों को उचित उपचार मिल जाए तो रोगी पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकता है। डॉक्टरों ने बताया कि उम्रदराज लोगों में मिर्गी के साथ लकवा का अटैक होता है इसलिए समय पर इलाज होना आवश्यक है।
मिर्गी के लक्षण
- अस्थायी तौर पर चेतना में न रहना
- हाथों और पैरों की अनियंत्रित मरोड़ते रहना
- पीडि़त भयभीत, और क्रोधित हो सकता है
- बार-बार दौरे पडऩा प्रमुख लक्षण में एक है
- पीडि़त व्यक्ति कुछ देर के लिए बोलने की क्षमता खो देता है।
इन कारणों से हो सकता है मिर्गी
- सिर में चोट लगने की वजह से
- मस्तिष्क ब्रेन स्ट्रोक और ट्यूमर होने पर
- आनुवांशिक सिंड्रोम या जन्मजात प्रसवपूर्व चोट लगने से
-ऑटिज्म और न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस जैसे विकास संबंधी विकार
- मस्तिष्क संक्रमण जैसे कि मैनिंजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, न्यूरोकाइस्टिसरकोसिस
-जेनेटिक्स आधार पर भी