पटना (ब्यूरो)। शहर के नाले मौत के नाले बनते जा रहे हैं। अधिकांश नाले खुले और बिना सेफ्टी के हैं। रिहाइशी इलाकों के बीचो-बीच के नालों का यह हाल है। शुक्रवार की देर रात एक परिवार पुनाईचक नाला में कार समेत डूबते-डूबते बचा। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे शादी के कार्यक्रम से लौट रहे थे और यह वाकया सामने आया। टर्निंग के पास अंधेरा था। नाला पूरी तरह से खुला था और सड़क के अंदर तक खोखला था। वहां लाइट भी नहीं थी। ऐसे में कार ड्राइवर के कार को बैक करने के दौरान ही कार का पिछला हिस्सा नाले में गिर गया। कार में सवार लोगों के तेज शोर और स्थानीय लोगों की चौकसी व दिलेरी की वजह से कार को बड़ी मशक्कत के बाद नाले से निकाला जा सका। स्थानीय नागरिक अमित ने बताया कि खौफ की बात तो यह है कि इससे पहले भी एक मोटर साइकिल इस नाले में गिर गई थी। तब मोटर साइकिल चालक को हम सभी ने मिलकर बचाया था।

फिर हो सकता है हादसा
स्थानीय नागरिक रीना सिन्हा ने इसे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के डिजिटल स्पेस पर शेयर किया और इस बात पर असंतोष जताया है कि नाला बेतरतीब ढंग से किनारे से टूटा है। इसके दोनों ओर दीवार भी नहीं है। यह प्रशासन की अनदेखी है और यहां पर फिर से ऐसे और हादसे हो सकते हैं। इसलिए नाला के दोनों ओर बाउंड्री जरूर होनी चाहिए। तभी सेफ्टी होगी।

न ग्रीनरी न कोई सेफ्टी
आखिर ऐसा हादसा कैसे रुके। हर व्यक्ति अब इस बात पर ही मंथन कर रहा है। लेकिन एक लंबे अरसे से सरकारी जमीन पर बने नाले की अनदेखी हो रही है। पुनाईचक का नाला अटल पथ के पास का ही है। पुनाईचक नाला को सेफ बनाने के लिए न तो इसे ढका गया है और न ही ग्रीनरी लगाकर नाले के किनारे को सुरक्षित ही किया गया है। यदि ऐसा किया गया होता तो यह सेफ होता। सिर्फ यही नहीं, नाला के पास घनघोर अंधेरा भी था। जिससे ड्राइवर संभल नहीं पाया।

कई नालों का एक ही कन्सर्न
सिर्फ पुनाईचक ही नहीं, शहर में ऐसे कई नाले हैं जो कि सघन रिहाइशी इलाकों के बीच है और बहुत अनसेफ है। वहां भी बाउंड्री वाल की समस्या और ग्रीनरी नहीं होने से नालों का लगातार क्षतिग्रस्त होना है। इसमें सैदपुर नाला, मंदीरी नाला, कंकड़बाग का बाइपास नाला, बाकरगंज नाला, पटेल नगर नाला और नेहरू नगर का नाला भी शामिल है। गोसाई टोला और नेहरू नगर के पास ही एक बड़ा नाला है। यहां गोसाई टोला के तमाम लोग रहते हैं। लेकिन वहां पर नाला खुला है। सड़क और नाला सटा हुआ है। नाला करीब आठ से दस फीट नीचे है। ऐसे में यहंा भी हादसा हो सकता है। अन्य नालों की भी कमोबेश यही स्थिति है।


पुनाईचक पंप हाउस से कांति सिंह के घर की ओर बढऩे पर यह बड़ा नाला है। घटना रात की है और वहां पर लाइट भी नहीं थी। गाड़ी जैसे भी पीछे गई, उसका पिछला हिस्सा नाले में गिरने लगा।
- रीना सिन्हा, स्थानीय नागरिक
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हमलोगों ने कार से तेज आवाज में चिल्लाने की आवाज सुनी। तब सभी लोग बचाने के लिए नाले की ओर दौड़े। वहां लाइट लगी होती तो शायद यह हादसा नहीं होता। यदि थोड़ी सी और देरी होती तो हादसा हो ही जाता।
- अनुराधा कुमारी, स्थानीय नागरिक
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यह सरकार और प्रशासन की अनदेखी है। नाले की घेराबंदी कर दी जानी चाहिए थी। तब ऐसा हादसा नहीं होता। लेकिन इसे सेफ करने के लिए कोई भी उपाय नहीं किया गया है।
- अमित कुमार