पटना ब्यूरो। पटना में गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन लगातार बढ़ रहे हैं। पहले अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली दस महिलाओं में एक या दो महिलाओं का ही सिजेरियन से बच्चा होता था। अब दस में से चार से पांच महिलाएं सिजेरियन से शिशु को जन्म दे रही हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच का डेटा बता रहा है। अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक 4164 प्रसव अस्पताल हुए हैं जिसमें से 1,901 सिजेरियन के माध्यम से इस तरह सामान्य प्रसव 2,263 ही हुए है। डॉक्टरों ने बताया कि सिजेरियन प्रसव का प्रमुख कारण हेल्दी डाइट न खाना भी है। पढि़ए रिपोर्ट
-45 फीसदी डिलेवरी सिजेरियन से
पटना प्रमंडलीय आयुक्त कुमार रवि के अध्यक्षता में पिछले दिनों रोगी कल्या समिति की बैठक हुई थी। जिसमें पता चला था कि 45 फीसदी डिलेवरी सिजेरियन के माध्यम से हुई है। नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि पिछले साल इसकी संख्या 30 फीसदी केआसपास थी। एक साल में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसका प्रमुख कारण प्रेग्नेंसी के समय उचित खानपान न लेना है।
- फिजिकल एक्टिविटी कर दी बंद
शहर के वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट डॉ। सविता कुमारी ने बताया कि गर्भवती महिलाएं नार्मल डिलीवरी चाहती हैैं तो गर्भावस्था के दौरान पूरी तरह से शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। सही डाइट लें और प्रति दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। प्रेग्नेंट महिलाएं प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करें। उन्होंने बताया कि रेगुलर एक्सरसाइज करने से मां का मूड अच्छा रहता है। जिससे पीठ और कमर में दर्द कम होती है, इससे स्ट्रेस भी नहीं होता है। वॉटर एरोबिक्स प्रेग्नेंसी के लिए परफेक्ट वर्कआउट है।
-फिजिकल एक्टिविटी कम करने से बढ़ा सिजेरियन
डॉक्टरों ने बताया कि गर्भवती महिलाएं फिजिकल एक्टिविटी कम करती है। प्रेग्नेंट होने के बाद वो अपने आप को बीमार समझने लगती हैं। डॉक्टरों ने बताया कि हेल्दी फूड्स न खाने और अधिक उम्र में गर्भधारण से बॉडी में फ्लैक्सिबिलिटी कम हो जाती है जिस वजह से मूवमेंट भी कम होता है। मूवमेंट कम होने से नार्मल डिलीवरी में परेशानी होती है। कई महिलाएं शिशु अच्छे कुंडली के लिए भी लग्न देखकर सिजेरियन की डेट डॉक्टर के साथ तय करती है। हालांकि पीएमसीएच के डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल में सिजेरियन उन्हीं महिलाओं को किया जाता है जिनको आवश्यता है। मुहूर्त देखकर किसी का सिजेरियन नहीं होता है। महिलाओं के अंदर प्रसव पीड़ा के डर भर गया जिस वे स्ट्रेस में रहती है जिसका नतीजा डॉक्टर सिजेरियन करना पड़ता है।