- फूलों की बारिश के बीच जन्मोत्सव मनाया

- बधाइयां बधाइयां बधाइयां से गूंजा बाललीला गुरुद्वारा मैनीसंगत

<- फूलों की बारिश के बीच जन्मोत्सव मनाया

- बधाइयां बधाइयां बधाइयां से गूंजा बाललीला गुरुद्वारा मैनीसंगत

PATNA :

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दशमेश गुरु गो¨वद सिंह के फ्भ्ब्वें जन्मोत्सव पर बाललीला गुरुद्वारा मैनीसंगत फूलों की बारिश और बधाइयों के शोर से सराबोर हो गया। बुधवार की देर रात प्रकाशोत्सव के बाद जन्मोत्सव मनाया गया। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तख्त श्री हरिमंदिर में दशमेश गुरु के प्रकाशोत्सव के अगले दिन बाललीला गुरुद्वारा में जन्मोत्सव मनाया जाता है।

विश्व शांति के लिए अरदास

गुरु गोविंद सिंह के बचपन के चमत्कार वाले ऐतिहासिक बाललीला गुरुद्वारा मैनी संगत में गुरुवार को फूलों की बारिश के बीच फ्भ्ब्वां जन्मोत्सव संत बाबा कश्मीर सिंह जी भूरिवाले की देखरेख में धूमधाम से मनाया गया। बाबा सुख¨वदर सिंह सुख्खा तथा बाबा गुर¨वदर सिंह की देखरेख में विशेष दीवान का आयोजन किया गया। शबद-कीर्तन-कथा-प्रवचन के बाद विश्व शांति के लिए अरदास किया। संतों ने बाला प्रीतम दशमेश गुरु के बचपन से जुड़े संस्मरणों तथा बलिदान की कथा सुनाकर संगतों को भाव विह्वल किया। चार दिनों से पटना साहिब में चल रहे फ्भ्ब्वां प्रकाश पर्व की गुरुवार को समाप्ति हुई। विभिन्न राज्यों से पहुंचे संगत घुघनी-पुड़ी का प्रसाद ग्रहण कर लौटने लगे हैं।

दशमेश गुरु की बलिदानी अनोखी मिसाल

संत बाबा कश्मीर सिंह भूरिवाले ने कहा कि विश्व इतिहास में श्री गुरु गो¨वद सिंह की बलिदानी अनोखी मिसाल है। गुरु जी ने दूसरों के लिए न केवल प्राण न्योछावर किया बल्कि जो कुछ अपना था वह सारा देश को अर्पण कर दिया। उन्होंने अपने चारों पुत्रों को भी धर्म के लिए कुर्बान कर दिया। अपना सर्वस्व न्योछावर कर वे सबसे बड़े त्यागी बन गए। संत भूरिवाले ने बाहर से आए विशिष्टों को सिरोपा देकर सम्मानित किया। कथावाचकों में लुधियाना के ज्ञानी ¨पदरपाल सिंह, भाई अवतार सिंह, ज्ञानी गुरबाज सिंह, ज्ञानी करम सिंह ने श्री गुरु गो¨वद सिंह की जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि पटना साहिब में जन्में श्री गुरु गो¨वद सिंह बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। स्टेज की सेवा अमृतसर के भाई जगदेव सिंह ने किया।