पटना ब्‍यूरो। उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो अब गोविंद ना आयेंगे । के नाट्य मंचन ने नारी सश1ितकरण के वर्तमान हालात को प्रदर्शित करते हुए सबको सोचने को विवश कर दिया। पुष्यमित्र उपाध्याय द्वारा वर्ष 2012 में निर्भया कांड के व1त कविता लिखी कविता इंटरनेट मीडिया पर भी इसे सुना व पढ़ा जा रहा है। वहीं शुक्रवार को जेडी विमेंस कॉलेज के 53वें स्थापना दिवस के अवसर पर छात्राओं ने इसका मार्मिक मंचन कर आंखों में आंसू ला दिया। महाविधालय के स्थापना दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

डॉक्यूमेंट्री के जरिए महाविद्यालय के विकास को दिखाया
कार्यक्रम का आरंभ प्राचार्या डॉ मीरा कुमारी ने किया। उन्होंने महाविद्यालय के विकास यात्रा की स्मृतियों को साझा किया। इस मौके पर महाविद्यालय के विकास यात्रा को एक सुंदर डॉक्यूमेंट्री के जरिए दिखाया गया। डॉक्टर हिना रानी ने महाविधालय के इतिहास पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के संगीत विभाग द्वारा डॉ रीता दास के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.मंच संचालन सौम्या एवं गरिश्मा ने किया।

गणेश वंदना से शुरू हुआ आयोजन
नाट्य प्रस्तुति से पहले मिथिला में नवरात्र के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य झिझिया की प्रस्तुति से छात्राओं ने सबका मन मोह लिया.छात्रा जयश्री के स्टैंडअप कॉमेडी ने सबको गुदगुदाया। नारी सश1ितकरण पर नाट्य की प्रस्तुति में भाग लेने वाली छात्राएं थी दिव्या, अलीशा, सलोनी , अदिति, प्रतीक्षा आदि ने अपनी प्रतिभा से नाटक को जीवंत किया। डॉ हिना रानी, डॉ रीता दास एवं कुमारी सुमन के दिशा-निर्देश में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। धन्यवाद ज्ञापन डॉ मंजरी नाथ ने किया।

पेड़ के नीचे चलती थी कक्षाएं
महाविद्यालय की पॉलिटिकल साइंस की विभागाध्यक्ष डॉ। पूनम कुमारी ने कॉलेज की स्थापना और इसके संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया। डॉ। पूनम बताती है कि 13 सितंबर 2024 को अपना 53वां स्थापना दिवस माना रहा जेडी वीमेंस यानी जानकी देवी महिला कॉलेज की स्थापना दो कमरे और तीन छात्राओं से शुरू हुई थी। वर्तमान में 8 हजार के करीब छात्राएं यहा शिक्ष ग्रहण कर रही है। इन 53 वर्षों में कॉलेज शिक्षा जगत में बुलंदियों को छू रहा है। मैट्रिक के बाद आगे की पढ़ाई के लिए खासकर विज्ञान विषय के लिए शिक्षाविद् रामावतार वात्सयायन ने महाविद्यालय की 1971 में नींव रखी थी।

मगध महिला से था अंगीभूत
जेडी वीमेंस कॉलेज में उन्हीं छात्राओं को एडमिशन मिल पाता था जिनके मार्क्स अच्छे होते थे। 1980 में कॉलेज बंद बगीचा स्थि?त एक आईएएस के मकान में शिफ्ट हुआ। डॉ। पूनम बताती हैं कि इस कॉलेज को आगे बढ़ाने में कॉलेज की पूर्व प्राचार्या आशा सिंह का विशेष भूमिका रही।

लालू के आवास का किया था घेराव
डॉ। आशा ने कॉलेज की अपनी जमीन हो इसके लिए 30 अगस्त 1994 में तीन हजार छात्राओं के साथ सड़क पर प्रदर्शन करते हुए तत्कालीन सीएम लालू यादव के आवास पर धरना प्रदर्शन किया। आंदोलन के एक दिन बाद ही 31 अगस्त को 1994 में सीएम ने शेखपुरा मोड़ के पास स्लम बस्ती को हटाकर कॉलेज के लिए जमीन उपलब्ध कराई। पेड के नीचे और बाद में झोपड़ी बनाकर छात्राओं को पढ़ाना शुरू किया गया। सभी कक्षाओं के नाम आशा सिंह ने हर पेड़ के नाम पर रखा था।


समय के साथ शिक्षकों का टोटा

भले ही कॉलेज आज झोपड़ी से बड़ी- बड़ी इमारतों वाला हो गया है । लेकिन कई कोर्स में शिक्षकों का टोटा है। जब कॉलेज की स्थापना शेखपुरा में 1980 में हुई थी तब 101 शिक्षक व शिक्षिकाएं थी। वर्तमान में 36 शिक्षक और शिक्षिकाएं बचे है। एडहाक पर शिक्षक रख काम चलाया जा रहा है।

स्थापना दिवस मनाने का उद्देश्य है कि हमलोग पूर्व प्राचार्या डॉ आशा सिंह एवं पूर्व शिक्षिकाओं के व्य1ितत्व से प्रेरणा लेकर महाविद्यालय को और आगे ले जाएं। कॉलेज ने कई उतार-चढ़ाव देखें हैं। आज कॉलेंज में छात्राओं के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- मीरा कुमार, प्राचार्य, जेडी वीमेंस कॉलेज