- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के निर्देश पर एनएमसी में तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू

- इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट तैयार करने की तकनीक सीखेंगे डॉक्टर

PATNA : नई शिक्षा नीति के तहत अब मेडिकल कॉलेजों में परंपरागत पठन-पाठन नहीं होगा बल्कि कौशल का विकास करने वाली गुणवत्तापूर्ण व्यावहारिक शिक्षा दी जाएगी। सामान्य एमबीबीएस की जगह इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट तैयार कर ग्लोबल डाक्टर बनाया जाएगा। यह बात गुरुवार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के निर्देश पर नालंदा मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य डॉ। हीरालाल महतो और अधीक्षक डॉ। विनोद कुमार सिंह ने कहीं। उन्होंने कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। ऑब्जर्वर के रूप में आईजीआईएमएस के प्राचार्य डॉ। रंजीत कुमार इस कार्यशाला में उपस्थित हुए।

विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा

एनएमसीएच में स्थापित मेडिकल एजुकेशन यूनिट की समन्वयक डॉ। अमिता सिन्हा ने बताया कि शिक्षक की जगह अब विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा लागू करने के लिए मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। एनएमसी की गाइड लाइन के अनुसार दूसरी बार कार्यशाला आयोजित की गई है। चार सितंबर तक चलने वाली इस कार्यशाला में एनएमसी द्वारा प्रस्तावित एनएमसीएच के 28 शिक्षक भाग लेंगे। आयोग द्वारा नामित ऑब्जर्वर ने कार्यशाला के दौरान औचक निरीक्षण कर पूरी प्रक्रिया और शिक्षकों की उपस्थिति तथा उनके क्रियाकलापों को देखा। उनकी रिपोर्ट के आधार पर शिक्षक को प्रशिक्षित होने का प्रमाण-पत्र निर्गत किया जाएगा। कार्यशाला में रिसोर्स फैकल्टी डॉ। अजय कुमार सिन्हा, डॉ बीपी जयसवाल, डॉ उदय नारायण ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत मेडिकल विद्यार्थियों को पढ़ाने की पद्धति बिल्कुल बदल जाएगी। विद्यार्थियों को भी किताब से अधिक व्यावहारिक ज्ञान सीखना होगा। परिणाम के आधार पर सभी का मूल्यांकन होगा।