पटना ब्यूरो। बिहार के सिलाव का खाजा, शाही लीची, तसर सिल्क के साथ-साथ मधुबनी पेंटिंग, मंजूषा कला आदि को भी जीआई टैग मिला है। अब बिहार के टिकुली आर्ट को भी जीआई टैग दिलाने की कवायद तेज है। पिछले महीने अशोक कुमार विश्वास को टिकुली कला के लिए पद्मश्री देने की घोषणा की गई थी। इस उपलक्ष्य में बिहार म्यूजियम की ओर से पिछले हफ्ते सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर अशोक कुमार विश्वास ने टिकुली आर्ट को जीआई टैग से जोड़ने की बात की थी। इसपर विचार करते हुए बिहार म्यूजियम टिकुली आर्ट को यह टैग दिलाने में जुट गया है।

जीआई टैग दिलाने में जुटा बिहार म्यूजियम
बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार के सात लोक कलाओं को अबतक जीआई टैग मिल चुका है, लेकिन अबतक टिकुली आर्ट को जीआई टैग नहीं मिला है। बिहार म्यूजियम में हुए सम्मान समारोह के दौरान अशोक कुमार विश्वास ने इस आर्ट को जीआई टैग दिलवाने का आग्रह था। बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने इस पर पहल करने की बात कही है।

जीआई टैग के लिए कलेक्ट किए जा रहे डॉक्यूमेंट
उन्होंने आगे कहा के अगर सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द जीआई टैग के लिए आवेदन किया जाएगा। इसके लिए सारे डॉक्यूमेंट को कलेक्ट किया जा रहा है। टिकुली आर्ट की कब शुरुआत हुई, इसका सबसे पुराना प्रमाण क्या है, आदि चीजों को संजोया जा रहा है। उसके बाद टिकुली आर्ट को जीआई टैग दिलाने के लिए अप्लाई करेंगे। इसका हेड क्वार्टर चेन्नई में है लेकिन दिल्ली में मीटिंग होगी और इसके लिए इंटरव्यू कॉल आएगा। इसमें आर्टिस्ट लोग भी जाएंगे और टिकुली आर्ट के बारे में कुछ सवाल पूछे जाएंगे और जानकारी ली जाएगी। इसमें पास होने के बाद जीआई टैग मिलेगा।

क्या होता है जीआई टैग
जीआई टैग यानी जियोग्राफिकल इंडिकेटर एक ऐसा दर्जा है जो विशेष रूप से किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित उत्पाद को दिया जाता है। वह उत्पाद इस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश- दुनिया में फैलती है, तो उसे प्रमाणित करने के लिए जीआई टैग की प्रक्रिया होती है, जिस नाम से वह उत्पाद जाना जाता है। बिहार की लोककलाओं में मंजूषा कला, सुजनी कढ़ाई का काम, एप्लिक (खटवा) वर्क, सिक्की घास के उत्पाद, भागलपुर सिल्क और मधुबनी पेंटिंग को जीआई टैग मिल चुका है।

कौन है पद्मश्री टिकुली आर्टिस्ट अशोक कुमार विश्वास
टिकुली कला के क्षेत्र में अशोक कुमार विश्वास का बड़ा नाम है। अशोक विश्वास को तब बड़ी पहचान मिली जब इंदिरा गांधी की पहल पर एशियाड में देश-विदेश से आए खिलाड़ियों को उपहार स्वरूप टिकुली पेंटिंग देने का निर्णय लिया गया। वे डिहरी में कर्मचारी बीमा निगम में सहायक की नौकरी करते थे। लेकिन 2002 में नौकरी से वीआरएस ले लिया और टिकुली कला में रम गए।