-केन्द्र सरकार की गलत नीति के विरोध में कर रहे थे नारेबाजी

-करीब एक करोड़ से ज्यादा व्यवसाय हुआ प्रभावित

PATNA/ BIHARSHARIFF : जीएसटी के विरोध में मिनी सूरत के नाम से विख्यात सोहसराय का कपड़ा मंडी में आज पूरे दिन ताला लटका रहा। सोहसराय व बिहारशरीफ का कुल भ्00 थोक कपड़ा व्यवसायी शनिवार को अपना-अपना प्रतिष्ठान बंद कर सड़क पर उतर आए और अपने प्रतिष्ठानों के समक्ष प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के उपरांत सैकड़ों व्यवसायियों ने पैदल मार्च कर केन्द्र सरकार की इस तुगलकी फरमान को पूरी तरह से गलत ठहराया। सोहसराय कपड़ा व्यवसायी कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रदूमन कुमार ने कहा कि पूरे देश में जीएसटी का विरोध कपड़ा व्यवसायी कर रहे हैं।

कपड़ा व्यवसायी के लिए मशहूर सूरत में व्यवसायियों पर पुलिसिया कहर बरपाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आतक कपड़ा व्यवसायियों पर कभी भी टैक्स नहीं लगाया गया। क्योंकि कपड़ा एक ऐसी वस्तु हैं जिसकी आवश्यकता हर किसी को पड़ती है। व्यवसायियों ने कहा कि उन्हें टैक्स देने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन महीने में तीन बार रिटर्न फाइल करने की बात हम व्यवसायियों के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि टैक्स लेनी है तो प्रोडक्शन ट्रेवेल्स पर ही एक मुश्त जोड़ दी जाएं हमलोग भी उसे स्वीकार कर लेंगे। लेकिन लेकिन महीने में तीन बार रिटर्न फाइल व साल में फ्7 बार रिटर्न फाइल जमा करना हम सबों के लिए काफी मुश्किल है।

व्यवसायियों ने कहा कि इस पेशे से जुड़े अधिकांश लोग कम पढ़े लिखे हैं। ऐसे में जीएसटी के लिए अलग से एक मुंशी बहाल करनी होगी और उसे अलग से वेतन का भुगतान करना होगा जो हम छोटे-व्यवसायियों के लिए काफी कठिन काम है। व्यवसायियों ने कहा कि जीएसटी के बारे में अभी अधिकांश व्यवसायियों को ठीक से जानकारी भी नहीं है। टैक्स का बोझ हम व्यापारियों पर पड़ेगा तो इसका असर आम जनता पर भी होगा। व्यवसायियों ने कहा कि कपड़ा व्यवसायियों पर थोपी गई जीएसटी सरकार को हर हाल में वापस लेना होगा। इधर एक साथ शहर के भ्00 कपड़ा के थोक दुकानों में ताले लगे से बाहर से आए व्यापारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। व्यवसायियों ने कहा कि यदि उन पर जबरन थोपी गई जवाबदेही से मुक्त नहीं किया गया तो हम व्यवसायी आगे भी आंदोलन को तेज करेंगे। एक दिन के हड़ताल की वजह से करोड़ों रुपये का व्यवसाय का नुकसान हुआ है।

दीप ज्योति कम्पलेक्स के धीरज कुमार कहते हैं कि हमलोग टैक्स देने से इंकार नहीं कर रहे हैं पर महीने में तीन बार व साल में फ्7 बार रिर्टन फाइल करने की बात हमलोगों के बस की बात नहीं है। इसका हम सभी विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि कई लोगों को इस जीएसटी के बारे में ठीक से पता भी नहीं है। ऐसे में किस तरह से लेखा-जोखा दुरूस्त कर रिर्टन फाइल किया जाएगा यह समझ से परे है।

- धीरज कुमार

मोटा भाई टेक्सटाइल के संचालक मंटू कुमार कहते हैं कि जीएसटी के तहत आने वाले टैक्स देने के लिए हमसबों को पूरा लेखा-जोखा रखना होगा। इसके लिए हम व्यवसायी उतने पढ़े लिखे भी नहीं हैं जो पूरी बात को समझ सके। इसके लिए हमें अगल से वेतन पर एक मंशी बहाल करनी होगी जो संभव नहीं है। सरकार जबरन कपड़ा व्यवसायी पर इतना बोझ मढ़ रही है।

-मंटू कुमार

दीप ज्योति कप्लेक्स के संचालक रवि कुमार ने बताया कि हम व्यवसायी एक जगह चाहे जितने भी टैक्स का निर्धारण कर दें देने को तैयार है पर हर माह लेखा-जोखा का काम हमसबों से नहीं होगा। इसके लिए सरकार को पुन: संशोधन करनी चाहिए। हम व्यवसायी पहले ही कई तरह के टैक्स की मार से जूझते रहें हैं। जीएसटी आने के बाद और भी परेशानी बढ़ गई है।

- दीप ज्योति

कपड़ा व्यवसायी पंकज कुमार ने बताया कि केन्द्र सरकार के इस जीएसटी से कपड़ा व्यवसायी को काफी आहत पहुंचा है। टैक्स देने के अलावा माह में तीन बार रिर्टन फाइल करने की बात हम व्यवसायियों के लिए काफी मुश्किल है। यदि इस कर में संशोधन नहीं किया गया तो कई कपड़ा व्यवसायी को इस व्यापार से तौबा करना पड़ेगा.बहरहाल हम व्यवसायी सरकार की इस शर्त को पूरा करने में सक्षम नहीं है।

- पंकज कुमार