PATNA: प्रदेश के फ् आइएएस अधिकारियों को अवैध रूप से सचिव से प्रधान सचिव बनाने के मामले में कई खेल किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारों को इस्तेमाल कर सरकार ने चहेते अफसरों को तेहरा लाभ पहुंचाया। तीनों अफसरों ने लगभग साढ़े तीन लाख रुपए बढ़ा वेतन ले लिया है जिसकी रिकवरी के साथ अन्य वैधानिक कार्रवाई की जा सकती है। आई नेक्स्ट ने जब इस बड़े खुलासे के बाद आइएएस और आईपीएस अफसरों से बात की तो लाभ की मंशा उजागर हुई।

- इसलिए थी जल्दीबाजी

एक जुलाई को देश के सभी आइएएस को इंक्रीमेंट मिलता है। सरकार के तीनों चहते अफसरों को इसका लाभ देने के लिए ख्ब् जून को ही चंचल कुमार, हरजोत कौर और दीपक कुमार सिंह को प्रधान सचिव के पद पर नियम विरुद्ध पदोन्नति दे दी गई। इस प्रमोशन से पहला लाभ बढ़े वेतनमान का लाभ मिला और फिर इंक्रीमेंट लगने के साथ सातवें पे कमीशन का भी लाभ दिलाने की मंशा रही।

- जांच का नियम है

दस हजार रुपए से अधिक की निकासी पर कार्मिक विभाग में जांच का नियम है। भारत सरकार की आपत्ति के बाद अवैध रूप से पदोन्नति पाए आइएएस अधिकारियों द्वारा निकाली गई लगभग साढ़े तीन लाख रुपए की अतिरिक्त धनराशि की जांच भी कराई जाएगी। कुछ आइएएस अफसरों का कहना है कि ऐसे मामलों में रिकवरी के साथ वैधानिक कार्रवाई का भी नियम है।

- चहेतों के लिए संकल्प को तोड़ा

इस बारे में कई आइएएस और आइपीएस अधिकारियों ने कहा कि पदोन्नति सरासर अवैध है। आउट ऑफ टर्म पदोन्नति का अधिकार सिर्फ पीएमओ को है। बिहार सरकार ने ऐसा कर भारत सरकार के अधिकारों में दखल दिया है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का इस मामले में चुप्पी साध जाना भी कई सवाल खड़ा कर रहा है। एक आइएएस का कहना है कि भारत सरकार की गाइड लाइन के बाद बिहार सरकार ने वर्ष ख्008 में संकल्प तैयार किया था जिसमें डीपीसी यानि डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी में प्रधान सचिव और मुख्य सचिव के साथ वित्त सचिव को शामिल करना था। लेकिन जूनियर आइएएस अफसर सचिव व्यय को शामिल कर प्रदेश सरकार ने संकल्प तोड़ दिया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में ऐसा क्यों किया गया ये बड़ा और अनसुलझा सवाल है।

प्रमोशन आउट ऑफ टर्म किया गया है जिसपर भारत सरकार ने आपत्ति की है। अब इसकी पड़ताल की जा रही है।

- अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव बिहार सरकार