- 500 करोड़ के डिबेंचर फंड का एलान, न्यूनतम दो लाख और अधिकतम दस लाख मिलेगा प्रोत्साहन

- अजा/अजजा के लिए 22 परसेंट और महिलाओं को पांच परसेंट तक आरक्षण

- स्टार्ट-अप यूनिटों को पांच साल तक न लाइसेंस और न परमिट की होगी जरूरत

PATNA: बिहार में उद्योगीकरण को बढ़ावा देने और युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए 'स्टार्ट-अप' नीति के प्रारूप को राज्य मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी है। इसके लिए सरकार ने भ्00 करोड़ रुपए का डिबेंचर फंड तैयार किया है जिससे युवा उद्यमियों को औद्योगिक 'आइडिया' के अनुसार वित्त पोषित किया जाएगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में ख्9 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल समन्वय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि बिहार की यह 'स्टार्ट-अप' देश के अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि 'स्टार्ट-अप' नीति में वैसे औद्योगिक यूनिटों को स्टार्ट-अप श्रेणी में शामिल किया जाएगा जिसकी स्थापना पांच वर्षों के अंदर की गई है। साथ ही उन यूनिटों को तरजीह दी जाएगी जो नए आइडिया के साथ सामने आती हैं। इन यूनिटों को राज्य सरकार न्यूनतम दो लाख और अधिकतम दस लाख रुपए की स्टार्ट-अप राशि भी उपलब्ध कराएगी। यूनिटों के चयन के लिए सरकार ने स्वतंत्र इकाई का गठन किया है। जिसमें राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ कुछ निजी संस्थानों को भी शामिल किया गया है। ये स्टार्ट-अप की श्रेणी में आने वाले यूनिटों का चयन करेंगे। बदले में संस्थानों की कमेटी को वित्त पोषित होने वाली यूनिट की कुल राशि का दो परसेंट अलग से दिया जाएगा।

ख्ख् परसेंट आरक्षण की सुविधा

सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए ख्ख् परसेंट आरक्षण की व्यवस्था की है। जबकि महिला उद्यमियों को पांच परसेंट आरक्षण दिया जाएगा। यानी भ्00 करोड़ रुपए की राशि का ख्ख् परसेंट अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए तथा पांच परसेंट महिला उद्यमियों के लिए होगा।

विकास आयुक्त की अध्यक्षता में ट्रस्ट का गठन

सिद्धार्थ ने बताया कि विकास आयुक्त की अध्यक्षता में नई औद्योगिक यूनिटों को स्टार्ट-अप सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक स्वतंत्र ट्रस्ट का गठन किया जाएगा। बाद में ट्रस्ट का संचालन प्रोफेशनल बॉडी के सौंप दिया जाएगा।

उद्योग विभाग अपना पोर्टल लांच करेगा। जिसके माध्यम से युवा उद्यमी नए आइडिया के साथ आवेदन कर सकेंगे। स्टार्ट-अप नीति के अंतर्गत चयनित यूनिटों को अगले पांच साल तक न तो लाइसेंस की जरूरत होगी और न ही इन यूनिटों का निरीक्षण किया जाएगा। बशर्ते कि यूनिटों से किसी तरह का ड्रग या इस तरह के उत्पाद नहीं बनाए जा रहे हों।

-एस सिद्धार्थ, प्रधान सचिव, उद्योग विभाग