पटना (ब्यूरो)। कपड़े और चमड़े के सामान महंगे होने वाले हैं जो एक जनवरी, 2022 से लागू होगा। जीएसटी के रेट स्लैब को वर्तमान के 5 परसेंट से बढ़ाकर 12 परसेंट किया जाना है। इस संबंध में पहले ही केन्द्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। बिहार में इसका बहुत प्रभाव पड़ेगा क्योंकि बिहार एक कंज्यूमर स्टेट है। साथ ही कपड़े के थोक और खुदरा व्यापार से भी बड़ी आबादी जुड़ी है। इस बदलाव के दो पहलू हैं एक कपड़े और चमड़े का उत्पादन महंगा हो जाएगा और इसके खरीदारों को कम से कम सात प्रतिशत अधिक मूल्य चुकाना होगा। इसे लेकर व्यापार जगत में घोर निराशा का माहौल है।

पहले और अब
केन्द्र सरकार द्वारा जारी सूचना में यह बात स्पष्ट किया गया है कि टैक्स संबंधी दरों में एकरूपता लाने का प्रयास है। पहले कच्चे माल पर अधिक और तैयार उत्पाद पर अधिक टैक्स लगता था। इसे इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर कहा जाता है। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने मांग किया था कि कच्चे माल और तैयार माल की दर एक समान और न्यूनतम रखी जाए। लेकिन अब कच्चा और तैयार माल दोनों के मामले में 12 प्रतिशत जीएसटी लगाते हुए हायर टैक्स स्लैब कर दिया। इसलिए अब बढ़े हुए टैक्स का भार आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

इन पर लगेगा 12 परसेंट जीएसटी
जीएसटी के बढऩे के कारण कई चीजें महंगी हो जाएगीं। इसके अंतर्गत बुने हुए कपड़े, मैन मेड फिलामेंट्स के सिलाई धागे, सिलाई धागे के अलावा सिंथेटिक फिलामेंट यार्न, सिंथेटिक मोनोफिलामेंट, कृत्रिम मोनोफिलामेंट सहित कृत्रिम फिलामेंट यार्न पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है। इसके अलावा सुतली के नुकीले जाल, रस्सी या मछली पकडऩे के जाल से बनी रस्सी, टेक्सटाइल मैटेरियल्स के बने, पाइल फैब्रिक्स के बने, टेरी फैब्रिक्स के बने, बुने हुए या कंबल व यात्रा के आसनों, बेड लिनेन, टेबल लिनेन, टॉयलेट लिनेन व रसोई लिनेन, पर्दों, व इंटीरियर ब्लाइंड्स, सामान की पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले एक तरह के बोरे व बैग, तिरपाल, शामियाना और सन-ब्लाइंड पर भी 12 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। तम्बू, नावों, सेलबोर्ड या लैंडक्राफ्ट के लिए पाल, कैंपिंग सामान, कालीन, टेपेस्ट्री, कढ़ाई वाले मेजपोश या सर्विएट्स बनाने के लिए बुने हुए कपड़े व यार्न वाले सेट, या खुदरा बिक्री के लिए पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले इसी तरह के कपड़ों की बिक्री प्रभावित होगी। इस प्रकार, जीएसटी की बढ़ी दरों का व्यापक असर होने वाला है।

हालांकि कपड़ों और चमड़े पर इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर आगे नहीं रहेगा। लेकिन हायर टैक्स स्लैब होने की वजह से आम उपभोक्ताओं को इसके सामान महंगे खरीदने पड़े। इस बाबत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
- आशीष अग्रवाल सीए

आमजन के लिए बेहद कॉमन कपड़े और चमड़े के सामानों पर जीएसटी की दरें नहीं बढ़ानी चाहिए । कोविड के बुरे असर से आमलोग अभी परेशान हैं। मेरा वित्त मंत्री से आग्रह होगा कि इसपर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
- कमल नोपानी, चेयरमैन कैट बिहार

बिहार एक कंज्यूमर स्टेट है और इसका इसका सीधा असर कंज्यूमर पर ही पडऩे वाला है। इससे पूर्व में भी जब भी जीएसटी बढ़ाई गई है, चैम्बर में चर्चा होती है। हालांकि इस विषय पर कोई विचार नहीं आया है।
- पीके अग्रवाल अध्यक्ष बिहार चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज

पहले से ही कोरोना के असर से लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। इसके बावजूद सरकार के कड़े फैसले से आमजन पर बोझ बढ़ जाएगा। सरकार को इस पर फिर से सोचना चाहिए।
- प्रेरणा कुमारी, गृहणी

इसमें कोई दो राय नहीं कि अभी आर्थिक स्थिति कठिनाई भरा है। लेकिन कपड़े जैसे प्रमुख उद्योग में लोगों की बढ़ी भागीदारी के कारण आम लोगों पर इसका व्यापक असर पडऩे की संभावना है।
- हरेंद्र चंद्रवंशी, प्रोफेशनल

बिहार में
- 300 करोड़ रुपए कपड़े का व्यापार
- 100 करोड़ रुपए का चमड़े का व्यापार
- 26 लाख कंज्यूमर