पटना (ब्यूरो)। प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। बल्कि निर्धारित लक्ष्य लगन और कठिन मेहनत से प्रतिभावान छात्र मंजिल पाकर समाज में एक आदर्श स्थापित करते हैैं। वह स्वयं प्रेरणा बनकर उन जैसे युवाओं के अंदर लक्ष्य को हासिल करने के प्रति जुनून पैदा करते हैं। राज्य में मैट्रिक व इंटर के टॉपर ऐसे ही छात्र-छात्राओं को शनिवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ। राजेंद्र प्रसाद की जयंती मेधा दिवस पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने पुरस्कृत किया। इन छात्र-छात्राओं ने गरीबी और कम संसाधन में अपनी प्रतिभा और मेहनत की बदौलत न सिर्फ परिवार और जिले बल्कि बिहार का नाम रोशन किया है। उन्हें पटना के ज्ञान भवन में बिहार बोर्ड ने प्रशस्ति पत्र, नगद राशि और लैपटॉप देकर सम्मानित किया। सम्मानित होने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने टॉपरों से बात की तो अधिकांश गुदरी के लाल निकले जो अपने मेहनत की बदौलत इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट।

एक लाख रुपये नहीं ये सपनों को पंख देगा
मैट्रिक परीक्षा 2022 में पूरे राज्य में प्रथम स्थान लाने वाली रामायणी ने बताया कि ये मेरा सम्मान नहीं पिताजी का सम्मान है। जो दिन रात एक कर और खेती-किसानी कर ट्यूशन की फीस भरते थे। पांच सदस्यीय इस परिवार में कमाने वाले सिर्फ एक व्यक्ति और इनकम का स्रोत भी सिर्फ खेती किसानी था। ऐसे में ट्यूशन का फीस भरना भी मुश्किल था। लेकिन पिता ने कभी भी ये फील नहीं होने दिया कि पैसे नहीं हैं। वे कष्ट करते हुए भी निर्धारित डेट से पहले ही फीस भर देते थे। ट्यूशन और स्कूल के बाद पांच से छह घंटे प्रति दिन पढ़ती थी। जिसकी बदौलत आज बिहार टॉपर बनी हूं। बिहार बोर्ड से मिलने वाली यह सम्मान राशि से आगे की पढ़ाई में काम आएगी।

मजदूर का बेटा बना सेकेंड टॉपर

बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित मैट्रिक परीक्षा 2022 में प्रदेश भर में द्वितीय स्थान लाने वाले विवेक कुमार ठाकुर ने बताया कि पिताजी दैनिक मजदूर है। सरकारी स्कूल में पढऩे के बाद भी ट्यूशन फीस भरना आसान नहीं था। मैट्रिक में पढ़ते नवीं के स्टूडेंट्स को पढ़ाकर ट्यूशन के लिए फीस एकत्र करता था। तब जाकर ट्यूशन फीस भरता था। मधुबनी जिले के जिले निवासी विवेक कुमार ठाकुर ने बताया कि कई दिन ऐसा भी होता था। कि पिताजी को मजदूरी का काम नहीं मिलता था। ऐसे में परिवार चलाना आसान नहीं था। इसलिए चाह कर भी कुछ मांग नहीं सकता था। बिहार बोर्ड में टॉप करने के बाद पिताजी खुशी से रोने लगे और सभी को घूम-घूम कर बताया कि बेटे ने टॉप किया है।

खुद की मेहनत लायी रंग

राज्य के नवादा जिले की सान्या भी मैट्रिक परीक्षा में दूसरे स्थान पर रही। इनकी भी परिवारिक पृष्ठभूमि साधारण है। सान्या ने बताया कि पिताजी मिठाई बनाकर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं। ऐसे में ट्यूशन ले पाना मुश्किल था। इंटर में पढऩे वाली एक दीदी ने गाइड किया। और खुद की मेहनत रंगा लायी। नवीं क्लास में जाने के बाद ही सात से आठ घंटे प्रति दिन पढ़ती थी, जिसका परिणाम ये हुआ कि मैट्रिक परीक्षा में पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान मिला। बिहार बोर्ड से जो सम्मान राशि मिली है वह आगे की पढ़ाई में बहुत मदद करेगी।

प्रज्ञा बनी थर्ड स्टेट टॉपर

राज्य के औरंगाबाद की निवासी प्रज्ञा कुमारी ने मैट्रिक परीक्षा में टॉप थ्री में आकर न सिर्फ जिले का नाम रोशन किया बल्कि आने पीढिय़ों के लिए मिसाल बनकर उभरी हैं। प्रज्ञा ने बताया कि पिताजी खेती-किसानी कर के अपना और परिवार का जीवन यापन करते हैं। अपने खर्च में कटौती कर के ट्यूशन का फीस भरते थे। बिहार बोर्ड से मिलने वाले 50 हजार रुपए से आगे की पढ़ाई जारी रखूंगी।

अगले सप्ताह जारी होगा कैलेंडर

सम्मान समारोह के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बात करते हुए बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि बोर्ड अगले सप्ताह एकेडमिक कैलेंडर जारी करेगा। इसमें बिहार बोर्ड की ओर से आयोजित होन वाली सभी परीक्षा, एडमिट कार्ड व फार्म भरने की तिथि लिखी रहेगी। उन्होंने ये भी बताया कि बिहार बोर्ड यह कैलेंडर पहली बार जारी कर रहा है।

बिहार बोर्ड ने किया टॉपरों को सम्मानित

देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ। राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर आयोजित मेधा दिवस समारोह का उदघाटन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर राज्य के प्रथम 10 स्थान प्राप्त करने वाले 47 स्टूडेंट्स, इंटर में चतुर्थ एवं पंचम स्थान प्राप्त करने वाले 17 स्टूडेंट्स को सम्मानित किया गया। प्रथम स्थान प्राप्त किए स्टूडेंट्स एक लाख रुपए, लैपटॉप व प्रशस्ति पत्र, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को 75 हजार रुपए व लैपटॉप प्रशस्ति पत्र और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले को 50 हजार रुपए नकद, लैपटॉप व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।