-पर्सनालिटी को लेकर सजग हैं पटनाइट्स, बालों की सुरक्षा के प्रति हो रहे सजग

-हॉर्मोन की कमी से बढ़ रही गंजापन की समस्या

-बिगड़ती दिनचर्या और खानपान से भी गिर रहे सिर के बाल

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PATNA (7 Nov):

हेयर प्रॉब्लेम पर आधारित बॉलीवुड फिल्म उजड़ा चमन और बाला की वजह से पटना में गंजापन को लेकर यूथ में चर्चा होने लगी है। बदलती जीवनशैली, खानपान, प्रदूषण आदि की वजह से पटनाइट्स में गंजापन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। सोसाइटी में कई लोग ऐसे हैं जिनके पास बंगला, गाड़ी और अच्छी नौकरी है लेकिन वे गंजापन की वजह से अपनी पर्सनालिटी को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि अब 25 साल की उम्र से ही बाल तेजी से गिर रहे हैं। वहीं, जब यूथ से बालों की समस्या पर चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हमलोग इस समस्या को लेकर काफी सजग हैं। क्योंकि एक बार सिर से बाल गायब हुए तो दोबारा नहीं आएंगे।

यूथ में बढ़ रहा गंजापन

हमेशा जोश और जुनून से सरोबार रहने वाली युवा पीढ़ी देश की सबसे बड़ी पूंजी हैं। लेकिन आज की युवा पीढ़ी 40 वर्ष से पहले ही गंजेपन की वजह से बुजुर्ग लगने लगे है। इससे उनका आत्मविश्वास की कमी देखी जा रही है। एक्सपर्ट से मिली जानकारी के अनुसार 30 साल से कम एज वाले यूथ में सालाना 20-25 लोग पटना में हेयर ट्रांसप्लांट कराते हैं। ऐसे युवाओं की संख्या हर साल लगातार बढ़ती जा रही हैं।

हेयर ट्रांसप्लांट पर 1.5 लाख तक खर्च

गंजापन या एलोप्शिया की समस्या से निजात के लिए मार्केट में अनेक प्रोडक्ट और इलाज मौजूद है। फिर भी युवाओं को बाल झड़ने और गंजेपन से झूझना पड़ रहा हैं। इससे निजाद पाने का अंतिम उपाय हेयर ट्रांसप्लांट है लेकिन इसका इलाज काफी मंहगा है। सरकारी अस्पताल के बजाए बाहर कम से कम में डेढ लाख तक खर्च आता हैं। जिससे पैसे वाले ही इस इलाज का सहारा लेते हैं।

हार्मोन की कमी से हेयर लॉस

एक्सपर्ट बताते है कि फीमेल की तुलना में ज्यादातर मेल गंजेपन के शिकार होते हैं। इसका मुख्य कारण मेल में एंड्रोजेनिक हार्मोन की कमी का होना हैं। इसके अलावा तीन और मुख्य कारण है। जिसमें खानपान में ढीला रवैया, जेनेटिक समस्या और पेट में हमेशा गड़बड़ी का होना भी शामिल हैं।

क्या है हेयर ट्रांसप्लांट

हेयर ट्रांसप्लांट में सिर के पीछे के बचे बाल या फिर छाती के बालों का उपयोग कर गायब हुए बालों की जड़ों से जोड़ दिया जाता है। इस ट्रीटमेंट के कराने के तीन से चार महीनों के बाद बाल आने लगते हैं।

ट्रांसप्लांट के दो तरीके प्रचलित

1. फोलिकल यूनिट ट्रांसप्लांट (एफयूटी) या स्ट्रिप मैथड। इस विधि में सर्जरी की जाती है। माइक्रो स्कोप के जरिए एक-एक बाल को अलग कर लगाया जाता है।

2. फोलिकल यूनिट एक्सट्रेक्शन (एफयूई) तरीके से भी बाल का ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है। इसमें बिना चीरे या टांके के बालों को सिर में लगाया जाता है। इसके अलावा बाल का ट्रांसप्लांटेशन मैन्यूअल के साथ रोबोटिक भी होने लगा है। हालांकि, रोबोटिक ट्रांसप्लांटेशन थोड़ी महंगी होती है। ट्रांसप्लांटेशन के अलावा लोग हेयर विग, पैच और वीविंग भी करवा रहे हैं।

वर्जन

हैंडसम दिखने के लिए सिर पर बाल होने जरूरी है। इसके बिना कई लोगों की शादी भी मुश्किल से हो पाती हैं।

एजाज खान

आजकल बाल कम उम्र में ही सफेद और गिर रहे हैं। सही खानपान का न होना भी बड़ी वजह हैं।

साहिल

हेयर ट्रांसप्लांट बहुत जटिल काम है इसके लिए सात से आठ डॉ की टीम की जरूरत पड़ती है लेकिन यह एक कारगर इलाज हैं। जिससे लगातार इसकी डिमांड बढ रही हैं।

-विद्यापति चौधरी, एचओडी, प्लास्टिक सर्जन, पीएमसीएच