पटना (ब्यूरो)। राजद प्रमुख लालू यादव के शरीर में उनकी पुत्री रोहिणी आचार्य की किडनी ने कार्य करना शुरू कर दिया है। इसी के साथ रोहिणी प्रदेश की पहली बेटी बन गई है, जिन्होंने पिता का किडनी दान की है। वैसे प्रदेश में अबतक हुए 107 किडनी प्रत्यारोपण में तकरीबन 80 प्रतिशत डोनर महिलाएं ही हैं। इनमें 70 प्रतिशत डोनर मां और 42 प्रतिशत पत्नी हैं। वहीं पुरुषों में सबसे ज्यादा 81 प्रतिशत किडनी डोनर पिता हैं।

प्रतिशत में पिता, माताओं से आगे :
आईजीआईएमएस किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के इंचार्ज डॉ। अमरेश कृष्णा ने बताया कि संस्थान में अबतक 86 पुरुष और पांच महिला समेत कुल 91 लोगों का किडनी प्रत्यारोपण किया गया है। इनमें 70 महिला और 21 पुरुष डोनर थे। किडनी दान करने वाली महिलाओं में सबसे अधिक 36 मरीज की मां, 30 पत्नी व चार बहन थीं। वहीं, 21 पुरुषों में सबसे अधिक 17 पिताओं ने अपने पुत्र को किडनी दी। इसके अलावा दो भाई और एक किडनी बाबा ने दी। एक किडनी सड़क हादसे में मृत युवक की थी, जिसे प्रतीक्षित मरीज में प्रत्यारोपित किया गया था। प्रतिशत में देखें तो जहां डोनर में माताएं 70 प्रतिशत हैं वहीं 81 प्रतिशत पिता ने बच्चों को एक किडनी दी है।

रूबन मेमोरियल और बिग अपोलो में अधिकतर डोनर महिलाएं :

रूबन मेमोरियल के प्रबंध निदेशक डॉ। सत्यजीत ङ्क्षसह ने बताया कि अबतक अस्पताल में कुल 15 किडनी प्रत्यारोपण हुए हैं। अधिकतर मामलों में करीबी रिश्तेदारों ने किडनी दी थी। इनमें भी खून के करीबी रिश्ते में आने वालीं महिलाओं की संख्या सर्वाधिक थी। इनमें से कोई पुत्री नहीं थी जिसकी किडनी पिता को दी गई हो। इसी प्रकार बिग अपोलो स्पेक्ट्रा हास्पिटल के प्रबंध निदेशक पद्मश्री डॉ। विजय प्रकाश और किडनी प्रत्यारोपण करने वाले डॉ। हर्षवर्धन ने बताया कि अभी तक एक सफल प्रत्यारोपण किया गया है। इसमें भी युवक को उसकी मां ने किडनी दी थी।

प्रत्यारोपण के बाद 10 प्रतिशत को ही रहता खतरा :

आईजीआईएमएस में अबतक हुए किडनी प्रत्यारोपण के आंकड़ों के अनुसार 91 में से 9 की मौत हो चुकी है। ये मौतें ट्रांसप्लांट के एक से पांच वर्ष के अंतराल में हुई हैं। ऐसे में जरूरी है कि जिस व्यक्ति के शरीर में किडनी प्रत्यारोपित की गई है वह संक्रमण से बचाव करने के साथ प्रदूषण से दूर रहे और। हालांकि, किडनी देने वाले लोगों को ऐसी कोई समस्या नहीं हुई, वे पहले की तरह सामान्य ढंग से अपने कार्य कर रहे हैं।

करीबी रिश्तेदारों की किडनी बेहतर ढंग से करती कार्य :

किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ। हेमंत कुमार, डॉ। अमरेश कृष्णा और डॉ। हर्षवर्धन ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण के पहले डोनर व रिसीवर के ब्लड ग्रुप की जांच कराई जाती है। समान ब्लड ग्रुप होने पर टिश्यू मैङ्क्षचग बेहतर होती है इसका अर्थ है कि डोनर की किडनी मरीज के शरीर में बेहतर ढंग से से पेशाब, अन्य तरल पदार्थों और खून से गंदगी को बेहतर ढंग से फिल्टर करती है। यही कारण है कि देश व प्रदेश में माता-पिता, भाई-बहन और दादा-दादी या नाना-नानी की किडनी प्रत्यारोपित करने को तरजीह दी जाती है।

प्रत्यारोपण के बाद शरीर में हो जातीं तीन किडनी :
डॉक्टरों के अनुसार जगह खराब किडनी को दूसरी जगह डाल दिया जाता है। इससे किडनी प्रत्यारोपण के बाद अधिकतर रोगियों के शरीर में तीन किडनी हो जाती हैं। इसी प्रकार डोनर को एक किडनी कम होने से कोई नुकसान इसलिए नहीं होता क्योंकि प्रति हजार लोगों में से दो लोगों के जन्मजात एक ही किडनी होती है और वे सामान्य रूप से अपना जीवनयापन करते रहते हैं।