-हाईकोर्ट ने कहा था कि रोक केन्द्र सरकार ही लगा सकती है

PATNA: रोक हटाने के बाद भी इंडस्ट्रीयल अल्कोहल के उत्पादन में कई तरह की शर्ते लगाने पर पटना हाईकोर्ट ने सख्ती जताई है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन, जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस सुधीर सिंह की पूर्ण पीठ ने उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव और आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ज्ञात हो कि शराबबंदी कानून सख्ती से लागू कराने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने इंडस्ट्रीयल अल्कोहल के उत्पादन पर रोक लगा दी थी। बिहार सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट ने पिछले साल 5 मई को अवैध करार दिया था। जिस पर पटना हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने बिहार सरकार को 3 सप्ताह में पक्ष रखने की हिदायत देते हुए पूछा कि अदालती आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों नहीं अवमानना का मामला चलाया जाए?

रोक हटने के बाद भी दमन का आरोप

मेसर्स ग्लोबल स्प्रिट लिमिटेड और अन्य की तरफ से अधिवक्ता सत्यवीर भारती ने हाईकोर्ट को बताया कि रोक हटाने के बाद भी स्प्रिट बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ राज्य सरकार दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। इन कंपनियों को दिशा निर्देश जारी कर कहा गया है कि वे अपने माल को प्रदेश से बाहर भी वैसे कंपनियों को बेचें जो शराब नहीं बनाती है। स्प्रिट में केमिकल डाल कर बाहर भेजें ताकि उससे शराब नहीं बन सके। इसके अलावा अनेक प्रकार की शर्ते लगा दी गई है। जिससे कंपनी वाले परेशान हैं जबकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस प्रकार का रोक केवल केन्द्र सरकार लगा सकती है।

बंगला खाली कराने के मामले में 23 को फिर होगी सुनवाई

महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों से बंगला खाली कराने के मामले में बिहार सरकार की निष्पक्षता पर पटना हाईकोर्ट में सवाल खड़े किए गए। पूर्व मंत्रियों के वकीलों ने आरोप लगाया कि बिहार सरकार डी एवं ई कोटि के बंगलों को खाली कराने पर तुली है। वहीं इसी प्रकार के अन्य बंगलों में अब भी विधायक और पार्षद रह रहे हैं। आखिर बिहार सरकार किस निष्पक्षता की बात कर रही है। न्यायाधीश सुधीर सिंह की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई की अगली तिथि 23 जनवरी है। कोर्ट ने सही स्थिति की जानकारी मांगी है। दूसरी ओर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि इन पूर्व मंत्रियों को नैतिकता के आधार पर खुद आवास छोड़ देना चाहिए। आखिरकार बिहार सरकार पर 35 मंत्रियों को आवास देने जवाबदेही है। उन्हें यह समझना चाहिए कि नए मंत्री किस प्रकार से रह रहे हैं। पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, अब्दुल गफ्फुर, अशोक चौधरी, विजय प्रकाश प्रो। चन्द्रशेखर, आलोक मेहता व अन्य की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव एवं विन्ध्याचल सिंह ने बातें रखीं।