पटना (ब्यूरो)। हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्तां हमारा। हिंदी दिवस के अवसर के अवसर पर पटना शहर के तमाम शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी कार्यालय में भी समारोह का आयोजन किया गया। भले ही हिंदी राष्ट्रभाषा न हो अब तक लेकिन रोज-ब-रोज हिंदी के बढ़ते प्रचलन और इससे लोगों की एक पहचान बन रही है। बिहार में हिंदी का स्वरूप अलग-अलग क्षेत्र विशेष के हिसाब से बदला हुआ रहता है। जैसे -मगही, भोजपुरी और अन्य भाषाएं। पटना में पटना यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संस्थानों और सरकरी कार्यालयों, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में इसे लेकर समारोह आयोजित किया गया है।

हिंदी पर गर्व होना चाहिए
पटना यूनिवर्सिटी के मगध महिला कॉलेज में हिंदी दिवस पर समारोह का आयोजन किया गया। हिंदी विभाग की छात्रा रितिका ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। समारोह को संबोधित करते हुए प्रो। श्यामदेव यादव ने कहा कि हमे अपनी भाषा पर गर्व होनी चाहिए। हिंदी विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृति, सभ्यता एवं भाषा से निर्मित स्वर पर गर्व करना चाहिए। मुख्य वक्ता प्रो। शिव नारायण सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी की भूमिका पर प्रकाश डाला।

पॉलीटेक्निक में मना हिंदी दिवस
नवीन राजकीय पॉलीटेक्निक पटना 13 में हिदंी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वल के साथ की गई.भारतेंदु हरिशचंद्र के हिंदी भाषा में योगदान में उनके सम्मान पर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया। प्रिंसिपल डॉ चंद्रशेखर सिंह ने हिंदी की महत्ता को बताते हुए एआईसीटीई की पहल अंग्रेजी भाषा की किताब हिंदी अनुवाद का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि हिंदी हमारी राजभाषा है, मातृभाषा है और इसका सम्मान आवश्यक है। इसी भाषा से हम सही तरीके से अपनी बात प्रेषित कर सकते हैं। संस्थान की व्याख्याता डॉ रंजीता तिवारी ने डॉ। कुमार विमलेंदु सिंह की दो कविताओं वर्तमान और न नया लूंगा न पूराना दूंगा का पाठ किया।


हिंदी में ज्यादा से ज्यादा कार्य
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, के तहत भारतीय प्राणी सर्वेक्षण गंगा समभूमि प्रादेशिक केंद्र पटना के द्वारा हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। संस्थान के प्रभारी अधिकारी एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ गोपाल शर्मा ने सभी लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज के दिन ही हमारी संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकार किया था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए यह प्रयास होना चाहिए कि अधिक से अधिक इसी भाषा में कार्य करे। इससे इसका बेहतर प्रयोग, प्रचार व प्रसार होगा। हमारे कार्यालय में हिंदी में ज्यादा से ज्यादा कार्य हो रहा है यह खुशी की बात है।