PATNA : काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने आईएससी के सिलेबस में बदलाव का निर्णय लिया है। देखा गया है कि सीआईएससीई के स्टूडेंट टेंथ के बाद ट्वेल्थ में सीबीएसई बोर्ड में चले जाते हैं। यही कारण है कि सीआईएससीई आईसीएससी के सिलेबस को काम्पटीटिव एग्जाम के अनुसार तैयार कर रही है। नए सेशन से यह सिलेबस स्टूडेंट के सामने होगा।

वीडियो लेक्चर

सीआईएससीई के एक अधिकारी ने बताया कि सिलेबस लगभग फाइनल हो गया है। इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसे काम्पटीटिव एग्जाम के अनुसार डिजाइन किया गया है। जल्द ही स्टूडेंट के सामने स्टडी मटेरियल, वीडियो लेक्चर, काम्पटीटिव एग्जामिनेशन के लिए क्वेश्चन पेपर आदि स्टूडेंट के सामने होंगे।

क्यों पड़ता है असर

सीबीएसई आईआईटी जेईई जैसे कई एग्जाम कंडक्ट कराता है। यही कारण है कि बच्चों का आकर्षण सीबीएसई बोर्ड की तरफ अधिक है। ऐसा मानना है सीआईसीएसई बोर्ड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर गैरी आरथॉन का। हाल ही में उन्होंने इस बाबत एक पत्र केंद्र सरकार को भी लिखा है कि ऐसे काम्पटीटिव एग्जाम इंडीपेंडेंट बॉडी से कराई जाए।

ख्0क्8 से बदलेगा सिलेबस

मालूम हो कि आइएससी का सिलेबस ख्0क्8 से बदल जाएगा। सीआईसीएसई के एक अधिकारी ने बताया कि हमलोग सिलेबस तो बदल रहे हैं लेकिन वह सीबीएसई के पैटर्न पर नहीं होगा। हामरा सिलेबस कुछ अलग और

काम्पटीटिव एग्जाम को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। बोर्ड मैथमेटिक्स, बायोलॉजी, केमेस्ट्री और फिजिक्स में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसके साथ ही बोर्ड ने यह भी कहा है कि वह फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी को एक सब्जेक्ट नहीं करने जा रही है। बोर्ड से संबद्ध स्कूलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था।

एनसीईआरटी की महत्ता

एनसीईआरटी के बुक्स की महत्ता को सीआईसीएसई बोर्ड ने सभी समझा है। बोर्ड ने यह सलाह दी है कि बच्चों को रेफरेंस बुक में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जानी चाहिए। बोर्ड ने पब्लिशर को सलाह दी है कि वे अपने किताब कम से कम वॉल्यूम में पब्लिश करें। बोर्ड का मानना है कि किताबों का वॉल्यूम अधिक होने से बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ता है। साथ ही एनसीईआटी के सिलेबस को बोर्ड ने काम्पटीटिव एग्जाम के अनुरूप पाया है।