पटना ब्‍यूरो। प्रदेश के सबसे बड़े सुपर स्पेशलिटी हॉस्पीटल आईजीआईएमएस में पिछले तीन सालों से लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा। इसके लिए 11 मरीज क्यू में हैं, मगर ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा। अस्पताल में प्रति माह तीन से चार मरीज ऐसे पहुंचते हैं जिन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। मगर फी अधिक होने की वजह से मरीज इसका रजिस्ट्रेशन तक नहीं करा पाते हैं। आईजीएमएस प्रशासन की माने तो ऑर्गन के अभाव में ट्रांसप्लांट का काम रुका है। आईजीआईएमएस में लिवर ट्रांसप्लांट बंद होने की शिकायत मिलने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम पड़ताल के लिए पहुंची तो कई वजह सामने आई। पढि़ए रिपोर्ट
गैस्ट्रो सर्जन की है कमी
आईजीआईएमएस में लिवर से पीडि़त मरीज पूरे बिहार व नेपाल से इलाज के लिए पहुंचते हैं। पर, डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें गैस्ट्रो सर्जरी विभाग नहीं भेजा जाता। बल्कि मरीजों को गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में ही इलाज कर चलता कर दिया जाता है। जबकि गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में जाने के बाद पता चलता है कि लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है या नहीं।
11 मरीजों को ट्रांसप्लांट का इंतजार
स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के बिहार कॉर्डिनेटर डॉ। जसपाल सिंह ने बताया कि आईजीआईएमएस में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए अभी 11 मरीज क्यू में हैं। ट्रांसप्लांट के लिए ब्रेन डेड मरीज या डोनर की आवश्यकता होती है। ब्रेन डेड मरीज नहीं मिलने से मरीज क्यू में हैं। नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि आईजीआईएमएस में लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट खुलने के बाद एक मरीज की मौत ट्रांसप्लांट के बाद हो गई थी। जिसके बाद ट्रांसप्लांट के लिए मरीज आना बंद कर दिए थे। अब ट्रांसप्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं तो डोनर ही नहीं मिल रहा है।
कंफर्मेशन अलर्ट नहीं मिलने से रुका ट्रांसप्लांट
स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के बिहार कॉर्डिनेटर डॉ। जसपाल सिंह ने बताया दो दिन पहले ओडिसा के एक मरीज का ब्रेन डेड होने का अलर्ट मिला था। जिसके बाद क्यू में लगे मरीज की ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू की गई। मगर, कंफर्मेशन अलर्ट नहीं मिलने से ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि ओडिसा में लिवर ट्रांसप्लांट की व्यवस्था नहीं है इसलिए आईजीआईएमएस को अलर्ट मैसेज दिया गया था। समय पर अगर कंफर्मेशन अलर्ट नहीं मिलता है तो ऐसे में ट्रांसप्लांट करना संभव नहीं होता है।
प्राईवेट अस्पतालों में 40 से 50 लाख होता है खर्च
डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन डेड के मरीज के साथ लिवर ट्रांसप्लांट करने में तकरीबन 40 से 50 लाख रुपए खर्च होता है। इसके लिए मुबंई, दिल्ली और बंगलुरु मरीज को जाना पड़ता है। जबकि आईजीआईएमएस में यह सुविधा 10 लाख रुपये में संभव है।
तीन अस्पताल रजिस्ट्रेशन के क्यू में
स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के बिहार कॉर्डिनेटर डॉ। जसपाल सिंह ने बताया कि बिहार में आईजीआईएमएस में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है। पटना के मेदांता, रूबन और पारस अस्पताल ने भी लिवर ट्रांस्पालंट के लिए आवेदन दिए हैं। स्वीकृति मिलने के बाद इन अस्पतालों में भी लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो जाएगी।
डेढ़ करोड़ रुपये हुआ था खर्च
आईजीआईएमएस सूत्रों की माने तो लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट का उद्घाटन साल 2021 में डेढ करोड़ रुपए खर्च कर हुआ था। जिसके बाद कई लोग ट्रांसप्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन भी कराए, मगर ट्रांसप्लांट के इंतजार में कई काल की गाल में समा गए और उनका लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो सका। बताते चलें कि लिवर ट्रांसप्लांट के लिए आने वाले मरीजों के लिए संस्था की ओर से सुपर स्पेशियलिटी क्लीनिक शुरू किया गया था.
लोगों को करेंगे अवेयर
आईजीआईएमएस के सुपरिटेंडेंट डॉ। मनीष मंडल ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट करने में बे्रन डेड मरीज की आवश्यकता होती है। अवेयरनेस के अभाव में कोई आगे नहीं आता है। इसलिए ट्रांसप्लांट में समस्या हो रही है। उन्होंने बताया कि लोगों को अवेयर करने के लिए जल्द ही स्कूल, कॉलेज में जाकर आर्गन डोनेट करने के लिए अवेयरनेस कार्यक्रम अस्पताल की ओर चलाया जाएगा। जिससे लोग अवेयर होंगे।
लिवर ट्रांसप्लांट विभाग पूरी तरह से फंक्शन में है। ट्रांसप्लांट के लिए ब्रेन डेड मरीज की आवश्यकता होती है। जो मिल नहीं रहा है, इसलिए ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा है।
-डॉ। मनीष मंडल, सुपरिटेंडेंट, आईजीआईएमएस, पटना
ट्रांसप्लांट विभाग एक नजर में
- ट्रांसप्लांट की ओपीडी 12 सितंबर 2021 को शुरू हुआ।
-फस्र्ट ट्रांसप्लांट 2021 में हुआ
-फस्र्ट ट्रांसप्लांट होने के बाद मरीज की मौत हो गई
-11 मरीज ट्रांसप्लांट के लिए क्यू में हैं
- ट्रासंप्लांट यूनिट खुलने में तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये हुआ था खर्च
- शहर के तीन बड़े प्राइवेट अस्पताल लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट खोलने के क्यू में है.
- आईजीआईएमएस में लिवर ट्रासंप्लांट कराने का शुल्क 10 लाख रुपए हैं।
- पूरे बिहार में सिर्फ आईजीआईएमएस में है लिवर ट्रासंप्लांट की सुविधा