- राजकीय आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में बड़ी संख्या में कोरोना पेशेंट्स का हुआ इलाज

- कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों के इलाज की भी मिल रही सुविधा

PATNA:

कोरोना का इलाज बड़े स्तर पर एलोपैथिक मेथड से विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है। सरकार इसके लिए संस्थागत प्रयास बड़े स्तर पर कर रही है वहीं दूसरी ओर बिहार जैसे प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में लोगों का प्रगाढ़ विश्वास है और इस देशी चिकित्सा पद्धति से अब तक सैकड़ों लोग ठीक होकर घर लौट चुके हैं। कोरोना की शुरुआत की बात करें तो उस दौर में राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज कदमकुआं में ओपीडी में बड़ी संख्या में पेशेंट इलाज के लिए आए और सामान्य केस वाले पेशेंट यानी जिन्हें पहले से कोई दूसरी बीमारी नहीं थी वे 10 से 15 दिनों तक में स्वस्थ हो गए। मई से लेकर अगस्त माह तक बड़ी संख्या में कोरोना के पेशेंट इलाज के लिए आए। अभी भी कोरोना के पेशेंट का यहां समुचित इलाज हो रहा है। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि यहां सुबह और शाम दोनो टाइम ओपीडी चल रही है इसमें पेशेंट इलाज के लिए आ रहे हैं।

हर दिन 50 से अधिक पेशेंट

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं हॉस्पिटल कदमकुआं में यूं तो प्रतिदिन कई पेशेंट आते हैं जो अलग-अलग बीमारियों से संबंधित होते हैं। लेकिन केवल कोरोना की बात करें तो इसकी संख्या भी हर दिन लगभग 50 तक है। यहां के डिप्टी सुपरिटेंडेंट वैद्य धनंजय शर्मा ने बताया कि यहां सरकार की ओर से अलग से कोविड- वार्ड नहीं बनाया गया है। लेकिन कोरोना के सामान्य और गंभीर पेशेंट जो आते हैं उन्हें समुचित उपचार किया जाता है। शुरुआती दिनों में दोनों ही प्रकार के पेशेंट मिल रहे थे। फिलहाल सामान्य पेशेंट आ रहे हैं।

देसी चिकित्सा बेहतर

आमतौर पर कोरोना के इलाज और दूसरी बीमारी में भी डॉक्टरों के द्वारा बड़ी संख्या में एंटीबायोटिक दवाएं लिखी जाती है। वैद्य धनंजय शर्मा ने बताया कि ज्यादा एंटीबायोटिक दवाई खा लेने से भूख कमजोर हो जाती है। इस वजह से पेशेंट कम भोजन करता है। जबकि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ऐसे साइड इफेक्ट इलाज में नहीं आते। उन्होंने बताया कि कोरोना के इलाज में आयुष काढ़ा, च्यवनप्राश और अश्वगंधा आदि का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसमें किसी भी प्रकार से भूख पर असर नहीं पड़ता है। उन्होंने बताया कि जो सामान्य व्यक्ति है वह अधिकतम 10 से 15 दिनों में स्वस्थ होकर घर लौट चला जाता है। यदि जिस व्यक्ति को कोरोनावायरस का अटैक हुआ हो और पहले से डायबिटीज हो तो सबसे पहले उसका शुगर लेवल कम करने की दवाई दी जाती है इस मामले में भी समुचित इलाज की व्यवस्था है।

इनका प्रयोग लाभकारी

वैद्य धनंजय शर्मा ने बताया कि आयुष चिकित्सा पद्धति सही इलाज में आयुष काढ़ा, चवनप्राश और अन्य जड़ी बूटियों के माध्यम से इलाज होता है। गिलोय का भी भरपूर प्रयोग होता है। दिन भर में तीन बार हल्दी नमक से गार्गल करना लाभकारी है। गर्म पानी में कपूर डालकर उसका वाष्प लेना भी लाभकारी है। गले में सूजन हो तो कंटकारी और निर्गुंडी के पत्ते को खोला कर उसका वाष्प लेना सूजन या गले में इंफेक्शन से बड़ी राहत देता है। उन्होंने बताया कि इसके इलाज से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

जागरूकता भी लाई गई

पटना एवं बिहार में कोरोना काल के दौरान इसके नियंत्रण को लेकर आयुष संगठनों ने जन जागरूकता फैलाया है। आयुष समितियों के माध्यम से आयुष काढ़ा राज्य स्वास्थ्य समिति को उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही इसके इलाज में आयुष काढ़ा समेत बड़ी संख्या में अन्य आयुर्वेदिक दवाओं का भी प्रयोग किया गया।