डाटा लेने में अनैतिक पूर्वाग्रह है वैश्विक चुनौती

पक्षपातपूर्ण डाटा संग्रह गलत निष्कर्ष का है कारण : उप राष्ट्रपति

- आद्री का 'भारत में सामाजिक सांख्यिकी' सब्जेक्ट पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस आर्गनाइज

- विश्व स्तर पर भारतीय आंकड़ों की विश्वसनीयता कम होने से विश्लेषण हो रहा प्रभावित : उप राष्ट्रपति

PATNA : एक अच्छे सांख्यिकीय विश्लेषण में राय भी महत्वपूर्ण है। इस राय की अपेक्षा परिणाम के अनैतिक पूर्वाग्रह, डाटा का पक्षपातपूर्ण तरीके से संग्रह करना, आधी -अधूरी जानकारी रखना - ये सभी परिणामों के साथ हेर-फेर करने का द्वार खोल देती है। ये बातें उप राष्ट्रपति मो। हामिद अंसारी ने भारतीय सामाजिक आंकड़े के बारे में कहा। वे रिसर्च इंस्टीट्यूट आद्री के सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन के अंतर्गत आयोजित भारत में सामाजिक सांख्यिकी विषय पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में की-एड्रेस डिलीवर कर रहे थे। आगे कहा कि सामाजिक सांख्यिकी के संदर्भ में मानवीय भूल-चूक की वजह से इसका प्रमाणीकरण जोखिम भरा है। प्राय: थोड़ी सी भी डिटेल गलत हो तो वास्तविकता का सटीक आंकलन मुश्किल हो जाता है। इसलिए सांख्यिकी के प्रत्येक समुच्चय की वैधता और उपयोगिता का आंकलन करने के लिए विशेषीकृत सांख्यिकीय साफ्टवेयरों के माध्यम से विश्लेषण करना चाहिए।

अलग-अलग विशेषज्ञों को बनाता है समर्थ

भले ही सांख्यिकी एक विज्ञान है, लेकिन यह सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र के भिन्न-भिन्न विशेषज्ञों को समान डाटा का उपयोग करके अलग-अलग निष्कर्ष निकालने में समर्थ बनाता है। सामाजिक साख्यिकी के संबंध में की-नोट एड्रेस देते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि डाटा हमेशा से सामाजिक आयामों से घनिष्ट रूप से जुड़े रहे हैं। समय के साथ आज का सामाजिक सांख्यिकी समाजशास्त्र और सामाजिक अध्ययनों की संरचनात्मक-कार्यात्मक परंपरा की आधारशिला है।

कम हुई भारतीय डाटा की विश्वसनीयता

मो। हामिद अंसारी ने कहा कि विश्व स्तर पर भारतीय आंकड़ों की विश्वसनीयता कम हुई है। जब असमानता, गरीबी, लैंगिक भेदभाव और डेवलपमेंट जैसे सामाजिक मुद्दों को मापने की बात आती है तो इसकी आलोचना होती है। इस संबंध में सरकारी आंकड़े यथा स्थिति को सही तरीके से नहीं दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों की गुणवत्ता और विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा आंकड़ों के संग्रहण के प्रयासों में दोहराव के संबंध में चिंता व्यक्त किया।

रिपोर्ट के क्भ् साल बाद भी जूझ रहे

भले ही वर्ष ख्009 में एक नई आंकड़ा नीति तैयार की गई, जिसे वर्ष ख्00क् में रंगराजन रिपोर्ट की शिफारिशों के आधार पर किया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर वर्ष ख्00भ् में एक राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया था। लेकिन चिंताजनक है कि आधिकारिक आंकड़ों के संबंध में समस्याएं बनी हुई है.भारतीय सामाजिक आंकड़े के क्षेत्र में सब कुछ ठीक नहीं है.नीति के बावजूद हमारे आधिकारिक आंकड़ों के संबंध में समस्याएं बनी हुई हैं। विशेष रूप से लैंगिक भेदभाव, असमानता, गरीबी और प्रगति जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर भारत के सरकारी आंकड़ों की आलोचना होती है। उपराष्ट्रपति ने ये बातें कहीं।

सिर्फ कैलोरी से नहीं मापे गरीबी को

कैलोरी और आमदनी के आंकड़ों के आधार पर गरीबी का सही आंकलन नहीं किया जा सकता है। इसे मापने के लिए एक मल्टी डायमेंशन अप्रोच होना चाहिए। गरीबी को बिहार में मिशन स्तर पर लिया जा रहा है। उक्त बातें कांफ्रेंस के गेस्ट ऑफ ऑनर एवं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि डाटा कलेक्शन के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। सामाजिक सांख्यिकी का कैनवस बहुत बड़ा है। सही डाटा ही नीति निमार्ण के लिए एक उपयोगी साधन साबित हो सकते हैं।

जाति आधारित जनगणना प्रकाशित हो

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक व जाति जनगणना के आंकड़े तत्काल प्रकाशित हों। सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना की महत्ता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लोगों की जनगणना तो हो जाती है लेकिन ओबीसी की जनगणना नहीं होती। वर्ष ख्0क्क् में जब जनगणना हुई तो इसकी मांग उठी। उन्होंने आद्री को सामाजिक सांख्यिकी पर कांफ्रेंस आयोजन के लिए बंधाई दी।

शिक्षा से होगा बड़ा बदलाव

कांफ्रेंस में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में उपस्थित बिहार के गवर्नर रामनाथ कोविंद ने आद्री के इस आयोजन की सराहना की और कहा कि शिक्षा से ही बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंनें खुशी व्यक्त किया कि प्रदेश में प्रौढ़ साक्षरता को एक मिशन के तौर पर लिया गया है। इस अवसर पर भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि लुई जार्ज अर्सनाल्ट ने ग्लोबल डेवलपमेंट इंडेक्स का जिक्र करते हुए बच्चों का स्वास्थ्य पर सामाजिक खर्च बढ़ाने की बात कही। इससे पहले नालंदा यूनिवर्सिटी की वीसी प्रो। गोपा सब्बरवाल ने सामाजिक क्षेत्र में प्रो। पीपी घोष के फेलिसिटेशन के अवसर पर साइटेशन रखा।

ये सभी रहे उपस्थित

इस कांफ्रेंस में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, सहकारिता मंत्री आलोक मेहता, जदयू सांसद हरिवंश, केसी त्यागी, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी, अर्थशास्त्री प्रो। अंजन मुखर्जी, नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो। गोपा सब्बरवाल, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की उषा किरण तारीगोपाले, यूनिसेफ के प्रतिनिधि लुई जार्ज अर्सनाल्ट, बिहार चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष ओपी साह सहित कई उपस्थित थे।