पटना ब्‍यूरो। ब्रेस्ट का साइज एबनॉर्मल या अत्यधिक बड़ा होना उनके लिए अभिशाप हो जाता है। पीठ, कंधा और गर्दन में रेगुलर दर्द, बेस्ट के आसपास ब्रा रगड़ाने से जख्म और फिर फंगल इंफेक्शन। लेकिन इससे मुक्ति संभव है। जानेमाने प्लास्टिक सर्जन डॉ। एसए वारसी के मुताबिक महिलाएं जानकारी के अभाव में और कई बार लज्जा वश भी ओवर साइज ब्रेस्ट के साथ जीने के लिए मजबूर होती हैं। हर रोज उन्हें कई प्रकार के तकलीफों से गुजरना पड़ता है। भारत जैसे देश में ओवर साइज ब्रेस्ट की वजह से महिलाएं शर्मिंदगी महसूस करती हैं। उन्हें भाई, मां- बाप के सामने खड़े होने में भी शर्मिंदगी महसूस होती है। हर रोज उन्हें कठिनाईयों से झेलना पड़ता है। फंगल इंपऊेक्शन हो जाता है। ब्रेस्ट अत्यधिक बड़ा होने महिलाओं को सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस लेने में जोर लगाना पड़ता है।
डॉ। एसए वारसी के मुताबिक इन समस्याओं से छुटकाना पाना संभव है। जिन्हें लगता है कि उनका ब्रेस्ट साइज बहुत बड़ा है और इसकी वजह से रोज कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है तो वैसी महिलाएं अपने ब्रेस्ट की प्लास्टिक सर्जरी कराकर उसका साइज सामान्य करा सकती हैं। ब्रेस्ट का साइज कम सामान्य होने पर ऐसी महिलाएं आत्मविश्वास महसूस करने लगती हैं। जिन्हें कोई बड़ी बीमारी नही है वो यह सर्जरी करवा सकती हैं। हेल्थ इंश्योरंस है तो बिना खर्च के यह सर्जरी हो सकती है। वैसे ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी में एक से डेढ़ लाख का खर्च आता है। सर्जरी के बाद ब्रेस्ट का स्कीन अच्छा हो जाता है। इसके लिए सिपर्ऊ ब्रेस्ट के नीचे छोटा सा कट का निशान होता है जो दिखता नहीं है। बेस्ट रिडक्शन सर्जरी में स्कीन और ऊतक को हटाकर ब्रेस्ट छोटा किया जाता है।

महिलाओं में दिल की बीमारी कम, पर हो जाए तो रिस्क ज्यादा: डॉ। बीबी भारती
कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के कार्यकारी समिति के सदस्य और फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक डॉ। बीबी भारती के मुताबिक महिलाओं में पुरुषों के अपेक्षा दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। लेकिन यदि दिल की बीमारी हो जाए तो उनमें रिस्क ज्यादा होता है। महिलाओं में हार्ट अटैक से रिलेटेड लक्षण एटिपिकल या विचित्र होता है। जैसे- हार्ट अटैक की स्थिति में पुरूषों में छाती में दर्द होता है जबकि महिलाओं में घबराहट-बैचेनी होती है। दिल की बीमारी से संबंधित एक और खास बात महिलाओं में है। रजोनवृत्ति या मासिक धर्म बंद होने के बाद महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा पुरूषों के बराबर हो जाता है। महिलाओं में डिस्टोलिक हार्ट फैल्योर ज्यादा होता है। कार्डियक आउटपुट कम हो जाता है।