- नहीं बंधा सेहरा तो करना होगा इंतजार

- अप्रैल से जुलाई के बीच केवल 21 मांगलिक मुहूर्त

PATNA/BUXAR: शादी का फेरा लेने की चाहत रखने वाले युगलों को जल्दबाजी करनी होगी। अन्यथा सेहरा बांधने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ेगा। कारण मांगलिक लग्न व मुहूर्त की कमी है। आलम यह है कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक साढ़े तीन महीने में मात्र ख्क् मुहूर्त है। ऐसे में इस अवधि में चूक गए तो फिर नवंबर में मुहूर्त का मौका मिलेगा। आचार्यों के मुताबिक वैवाहिक मुहूर्त कम है। ये मुहूर्त केवल अप्रैल व जुलाई के बीच है। वह भी अप्रैल में मात्र क्फ् व जुलाई में 8 लगन है। शुभ लग्न नहीं रहने से क्ब् जुलाई के बाद शादी-विवाह पर विराम लग जाएगा।

क्म् से शुरू वैवाहिक लग्न

एक माह के खरमास के बाद लग्न का शुभारंभ क्म् अप्रैल से हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पं.मन्ना चौबे के अनुसार क्फ् की रात को खरमास का समापन हो गया। इसके बाद क्म् अप्रैल की रात 8 बजकर 9 मिनट से शुभ लग्न के साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। जो ख्9 अप्रैल तक लगातार चलेंगे।

अप्रैल में किस तिथि को मुहूर्त

पं.चौबे ने बताया कि अप्रैल में क्फ् दिन शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। इनमें दिनांक क्म् से ख्ब्, ख्म् व ख्8 अप्रैल को चौबीसों घंटे लग्न हैं। जबकि ख्भ्, ख्7 व ख्9 को दिवा लग्न हैं। यानि इन तीन तिथियों को दिन में ही शुभ मुहूर्त आ रहा है।

शुक्रास्त के कारण शादी पर विराम

आचार्य के मुताबिक ग्रहों का प्रभाव शादी-विवाह पर भी होता है। लिहाजा शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक कार्य करना वर्जित है। ख्9 अप्रैल के बाद दो महीने के लिए शुक्र अस्त हो रहे हैं। जिससे वैवाहिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।

फ्0 जून को उदय होंगे गुरु

गुरु के उदय होने पर शादी-विवाह शुरू होता है। पंचांग का हवाला देते हुए आचार्य ने बताया कि फ्0 जून को गुरु उदय होंगे। जिसके साथ ही शादी-विवाह पर लगी बंदिश खत्म हो जाएगी। हालांकि मांगलिक मुहूर्त 7 जुलाई से शुरू होगा। इसके बाद 8 से क्फ् व क्ब् जुलाई तक लगातार रहेगा। फिर हरि शयनी दोष के कारण मांगलिक कार्य ठप हो जाएगा। हरि शयनी एकादशी क्भ् जुलाई को पड़ रहा है। हरिशयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य वर्जित है।

देवोत्थान एकादशी के बाद शादी का मौका

हरि शयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य पर विराम लगता है तो उसका शुभारंभ प्रबोधिनी एकादशी यानि देवोत्थान एकादशी को होता है। देवोत्थान एकादश क्0 नवंबर को पड़ रहा है। ऐसे में दस नवंबर के बाद ही मांगलिक कार्यक्रम का आगाज होगा।