-सरकारी हॉस्पिटल्स में 181 हैं कार्यरत, 1096 पद हैं रिक्त

PATNA: कोरोना लगातार पीक की ओर बढ़ रहा है और लगभग पांच प्रतिशत ऐसे पेशेंट है जिन्हें वेंटिलेटर सर्पोट की जरूरत है। आने वाले समय में यह प्रतिशत बढ़ने की प्रबल संभावना है। बावजूद इसके सरकारी हॉस्पिटल्स यहां तक कि कोविड डेडिकेटेड एनएमसीएच हॉस्पिटल में इसे आपरेट करने वाले प्रशिक्षित स्टाफ ही नहीं है। पीएमसीएच और एनएमसीएच में 20-20 वेंटिलेटर है। लेकिन यहां भी प्रशिक्षित स्टाफ नहीं हैं। इसका संचालन फिलहाल पीजी के स्टूडेंट्स किसी प्रकार से कर रहे हैं। यह हाल राजधानी पटना का है और अन्य जिलों में इससे भी बुरे हालात हैं। लेकिन कोरोना की इस गंभीर संकट के बावजूद इसके ऑपरेटरों की भर्ती के लिए कोई विज्ञापन तक नहीं निकाला गया। इसकी बजाय सरकारी वेंटिलेटरों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इसे लगाया जाएगा। कोई अस्पताल यदि उपलब्ध वेंटिलेटर का प्रयोग करना चाहता है तो इसके लिए सिविल सर्जन को आवेदन करन होगा।

अभी पत्र जारी नहीं

स्वास्थ्य विभाग ने मीडिया को यह बताया है कि अभी कोरोना संक्रमण के कारण चिकित्सा पदाधिकारी और कर्मी लगातार काम कर रहे हैं। इनकी ओर से यह अनुरोध आया है कि जो सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर हैं उनका संचालन निजी क्षेत्र में कार्यरत अस्पतालों के सहयोग से होना चाहिए। इसे देखते हुए जिला स्तर पर वेंटिलेटर का उपयोग के लिए सिविल सर्जन कार्यालय में आवेदन देना होगा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसे लेकर पड़ताल की। इससे पता चला कि अभी इस संबंध में सिविल सर्जन कार्यालय को कोई पत्राचार नहीं किया गया है। क्योंकि जो भी आवेदन प्राप्त होगा वह उन पत्र के आधार पर ही होगा। ताकि सुविधा मिल सके।

यह है वर्तमान स्थिति

वर्तमान में पूरे बिहार में 181 वेंटिलेटर ऑपरेटर कार्यरत हैं। जबकि इसके लिए कुल रिक्तियों की संख्या 1096 है। यही वजह है कि तमाम जिलों के सदर अस्पताल और वेंटिलेटर वाले हॉस्पिटल में ये पडे़- पडे़ धूल फांक रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों में किसी प्रकार से इसका संचालन हो जाता है ड्यूटी पर कार्यरत स्टूडेंट्स से। लेकिन अन्य कहीं भी इसकी स्थिति ठीक नहीं है।

दस हजार प्रतिदिन का शुल्क

राज्य सरकार के द्वारा कोरोना पेशेंट के लिए वेंटिलेटर सर्पोट के लिए प्राइवेट हॉस्पिटलों में अधिकतम 12 हजार रूपये का शुल्क निर्धारित है। वहीं, हाल ही में राज्य सरकार के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से दो हजार रुपये कम राशि ही लेनी होगी। यानि सरकारी वेंटिलेटर जिसे कोई प्राइवेट हॉस्पिटल संचालित करेगा, उसे दस हजार रुपये अदा करना होगा।

सरकार केवल पढ़ा रही

वेटिलेटर चलाने के लिए प्रदेश स्तर पर पारा मेडिकल कोर्स ओटी टेक्निशियन की पढ़ाई होती है। हर साल सैंकड़ों की संख्या में ये पास आउट होकर निकलते हैं। साल दर साल ऐसे प्रशिक्षित स्टाफ तैयार हो रहे हैं, डिग्री मिल रही है। पारा मेडिकल छात्र संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष भारत भूषण ने बताया कि यहां पटना के पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट जैसे 58 संस्थान हैं। इनमें वेंटिलेटर संचालन आदि की पढ़ाई होती है।

अभी किसी प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर से आवेदन नहीं आया है। लेकिन जब आवेदन प्राप्त होगा उसे नियमानुसार निर्धारित शर्तो के साथ इसकी अनुमति दी जाएगी।

-डॉ विभा कुमारी, सिविल सर्जन पटना