अपनी दास्तां, अपनी परेशानी
31 वर्षीय दीपक कुमार पासवान पेड़ से गिर गया और उसकी स्पाईन की हड्डी टूट गई। ये सभी राजवंशी नगर स्थित लोकनायक जय प्रकाश हॉस्पिटल में एडमिट हैं। इसी प्रकार रीता देवी की पैर के कमर की हड्डी टूट जाने के बाद जिंदगी ही बदल गई। ऐसे केसेज ऑपरेट हो चुके हैं, और उन्हें आशा है कि उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर दौडऩे लगेगी। डायरेक्टर एलएनजेपी सुपर स्पेसियलिटी हॉस्पिटल डॉ एचएन दिवाकर ने बताया कि प्रयास और साहस फिर से सकारात्मक बदलाव संभव हैं। हम इसमें पूरा सहयोग करते हैं।
मानो हाथ काम लायक नहीं
वार्ड नंबर 116 के बेड नंबर सात के पेशेंट मोकामा निवासी 42 वर्षीय ललित कुमार के लिए बीता साल किसी बुरे सपने जैसा था। एक ऑटोवाले ने उनकी बाइक में जोरदार टक्कर मारी और फिर सीने में चोट और दाहिने हाथ में मल्टीपल फ्रैक्चर हो गया। घर में एक मात्र रोजी-रोटी कमाने वाले इस व्यक्ति की ऐसी हालत से परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन एलएनजेपी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ एचएन दिवाकर ने इस केस को ऑपरेट किया है। ललित कुमार ने बताया कि डॉक्टरों से मुझे बहुत उम्मीद बंधी है कि फिर से मेरा हाथ काम कर पाएगा.
पेड़ से गिरने के बाद 4 साल से लगा रहे हॉस्पीटल का चक्कर
वार्ड नंबर 113 के बेड नंबर तीन पर पड़े 31 वर्षीय दीपक कुमार पासवान पिछले चार साल से अपनी टूटी स्पाइन को लेकर इलाज के चक्कर से परेशान था। पिछले चार साल में इलाज का अब तक का नतीजा यह रहा कि उसके रीढ़ की हड्डी में सर्पोट के लिए स्टील की पत्ती लगी है और वह सामान्य नहीं बल्कि लंगड़ाकर चल पाता है। जनवरी में उसके रीढ़ में लगी स्टील की पत्ती निकाल ली जाएगी। इसके बाद वह सामान्य रूप से चलने की उम्मीद बंधी है। ऐसे कई पेशेंट्स हैं जिनकी पूरी जिंदगी हादसे से बदल जाती है.
अगले माह से चल सकेंगी
वार्ड नंबर 114 के बेड नंबर एक पर आरा निवासी 40 वर्षीय रीता देवी पिछले दो माह से यहां एडमिट हैं। वो चलने से लाचार है। घर पर गाय बांधने के क्रम में कमर की हड्डी टूट जाने के बाद इस गरीब महिला के लिए न तो इलाज का खर्च उठाना संभव था और न ही कोई और सहारा था, लेकिन यहां इनकी बाइपोलर प्रोस्थेटिक ट्रीटमेंट आसानी से हो गई। उन्हें 23 दिसंबर को डॉ एचएन दिवाकर की टीम ने ऑपरेट किया था। इस बारे में डॉ एचएन दिवाकर ने बताया कि हिप में क्रिटिकल सर्जरी की गई थी। अब पहले से बहुत सुधार है। अगले माह से मूवमेंट बेहतर होगा। दोनों पैरों पर खड़ी होकर चलेंगी.
चार माह से इलाज का चक्कर
चार माह से इलाज का चक्कर लगा नासरीगंज,(पटना) रहीं गायत्री देवी के एंकल और ज्वाइंट के बीच की हड्डी पूरी तरह से टूट गई थी। उन्हें आठ अगस्त को ऑपरेट किया गया था एलएनजेपी हॉस्पिटल में। लेकिन एक बार फिर से उन्हें डॉक्टरों ने ऑपरेट करने की बात कही थी, सो वे दिसंबर के पहले हफ्ते से जेनरल वार्ड के बेड नंबर एक पर एडमिट हैं। पैदल सड़क पार करने के दौरान एक आटो ने उन्हें टक्कर मार दी थी। उनके पिता शंकर साव ने बताया कि यदि डॉक्टर दुबारा ऑपरेशन कर इसे चलने लायक बना तो इससे बड़ी कोई बात नहीं। बेहद गरीबी में हैं, वो चाय, कचरी बेचकर घर चलाती रही थी.