पटना ब्‍यूरो। अमेरिका और इंग्लैंड की तरह अब पटना में भी थेरेपी से बच्चे जन्म लेंगे। जन्म से पहले महिलाओं को होने वाले लेबर पेन को कम करने के लिए संगीत थेरेपी दी जाएगी साथ ही वातावरण को खुशनुमा करने के लिए ऐरोमा थेरेपी का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इतना ही नहीं प्रसव को आसान बनाने के लिए एक्सरसाइज भी कराई जाएगी। ये सब होगा पटना सिटी स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में। संगीत व ऐरोमा थेरेपी के लिए अलग से लेबर रूम बनाया गया है। जल्द ही नई व्यवस्था शुरू की जाएगी। आज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में पढि़ए ये खास रिपोर्ट

थेरेपी के लिए यूनिट खोले जाएंगे
नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में महिलाओं के प्रसव के लिए विर्थंग यूनिट बनाई जा रही है। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। उषा कुमारी ने बताया कि रूम बनकर तैयार है। थेरेपी के लिए जल्द ही इक्यूपमेंट की खरीदारी की जाएगी इसके बाद अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को संगीत व ऐरोमा थेरेपी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि चुनाव की वजह से लोग व्यस्त हैं। चुनाव के बाद ये सुविधा बहाल की जाएगी।

टेंशन व दर्द होता है कम
नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल की प्रिंसिपल डॉ। उषा कुमारी ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बात की। उन्होंने बताया कि संगीत एक उपचारात्मक विधि है। इस विधि से इलाज करने से पेशेंट को बेहतर फील होता है। प्रसव के दौरान होने वाले दर्द व टेंशन से राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि प्रथम स्टेज में लेबर पेन होने पर संगीत थेरेपी कमरे में महिला को रख दिया जाएगा संगीत म्यूजिक के माध्यम से थेरेपी दी जाएगी। जिससे दर्द कम होगा। साथ ही ऐरोमा थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाएगा जिससे लेबर पेन को पेशेंट भूल जाए। द्वितीय स्टेज में प्रसव के लिए लेबर रूम में रखा जाएगा। तीसरे स्टेज में प्रसव होगा। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था में सुरक्षित ढंग से महिलाओं को प्रसव कराया जाएगा। जिससे मातृ शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी।

वर्धा में इस विधि शिशु का जन्म
प्रिंसिपल डॉ। उषा कुमारी ने बताया कि संगीत व ऐरोमा थेरेपी से शिशु के जन्म अमेरिका, इंग्लैंड के साथ वर्धा के कई अस्पतालों में हो रहा है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने से वहां मातृ शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है इसलिए पटना में भी इस तकनीक को अपनाने की कोशिश है।

लेबर रूम के सामने कमरा तैयार
प्रिंसिपल डॉ। उषा कुमारी ने बताया कि अस्पताल के लेबर रूम के सामने स्त्री एवं प्रसूति विभाग में संगीत थेरेपी के लिए अलग से कमरा बनाया गया है। कमरे में बेड के साथ थेरेपी से जुड़े इक्यूपमेंट लगाए जाएंगे। महिला के लिए थेरेपी से जुड़े संसाधन लगाए जाएंगे। जिसमें धीमी गति से म्यूजिक बजेगी। ऐरोमा थेरेपी से सुगंध फैलाया जाएगा। वहीं पिनट बॉल व राउंड बॉल से प्रसव को सरल बनाने व दर्द को कम करने के लिए एक्सरसाइज भी कराया जाएगा।

अमेरिकी कल्चर के तहत प्रसव
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि अमेरिका, इंग्लैंड व अन्य कई देशों में प्रसव के लिए नर्स को प्रशिक्षित किया जाता है। सामान्य प्रसव नर्स कराती हैं। प्रसव से पूर्व कोई बीमारी या ऑपरेशन होने की स्थिति में महिला डॉक्टर प्रसव कराती हैं। आने वाले समय में यहां भी इस तकनीक से प्रसव कराया जाएगा इसके लिए नर्स को प्रशिक्षण दी जाएगी। डॉक्टरों ने बताया कि सामान्य प्रसव में जो डॉक्टर को लगाया जाता है उसे कॉम्पलीकेटेड केस में लगाया जाएगा जिससे पेशेंट को लाभ मिलेगा।


एनएमसीएच के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में संगीत व ऐरोमा थेरेपी के लिए अलग से कमरा बनाया गया है। सामान की खरीदारी के बाद इस व्यवस्था के तहत महिलाओं को प्रसव कराया जाएगा। वर्धा में कई सालों से इस विधि से प्रसव कराया जा रहा है।
- डॉ। उषा कुमारी, प्रिंसिपल, एनएमसीएच, पटना