पटना (ब्यूरो)। दूसरे राज्यों से लाए गए वाहनों को बिहार में स्थाई रूप से चलाने के लिए स्थानीय स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा नहीं करने वाले गाड़ी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस संबंध में परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सभी डीटीओ, एमवीआई और ईएसआई को विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई का निर्देश दिया है। शनिवार को विशेष अभियान चला कर ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई की गई। अभियान के तहत झारखंड समेत अन्य राज्यों के 21 वाहनों पर कार्रवाई की गई।

होती है टैक्स चोरी
परिवहन सचिव ने बताया कि टैक्स चोरी के उद्देश्य से वाहन मालिक लग्जरी और अन्य वाहनों का रजिस्ट्रेशन पड़ोस के राज्य झारखंड से कराते हैं और चोरी छिपे स्थाई तौर पर बिहार में परिचालन करते हैं। यह मोटरवाहन अधिनियम का उल्लंघन है। इससे बिहार को राजस्व क्षति भी हो रहा है। परिवहन सचिव ने बताया कि झारखंड एवं अन्य राज्य के वास्तविक वाहन मालिक को घबड़ाने की जरूरत नहीं है। वो अपना पेट्रोल पंप रसीद, ड्राइविंग लाइसेंस, टोल प्लाजा की रसीद, आधार कार्ड, डीएल या अन्य कोई प्रमाण पत्र दिखा कर झारखंड या अन्य राज्य से आने का प्रूफ दिखाएंगे तो उन्हें फाइन नहीं लगेगा।

आसानी से होगा रजिस्ट्रेशन
परिवहन सचिव ने कहा है कि दूसरे राज्यों की गाडिय़ों को स्थाई रूप से बिहार में चलाना है तो बिहार का नंबर लेना होगा। बिहार का नंबर लेने के लिए किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। सभी जिला परिवहन पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे आवेदन प्राप्त होने के सात दिनों के अंदर बिहार का नंबर प्रदान करें।

कैसे प्राप्त करें स्थानीय निबंधन संख्या
वाहन स्वामी द्वारा स्थानीय डीटीओ कार्यालय में विहित प्रपत्र में आवेदन तथा अनापति प्रमाण पत्र के अनुरोध संबंधी साक्ष्य के अतिरिक्त अन्य कागजात जमा करना होगा। परिवहन सचिव ने बताया कि अन्य राज्यों के निबंधित वाहनों का बिहार में स्थायी रूप से परिचालन किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। इसके साथ ही कई निजी वाहनों के मालिक हैं जो अन्य राज्यों से निबंधित वाहन का एनओसी लेकर बिहार में अपने वाहन का निबंधन कराना चाहते हैं। उन्हें प्राथमिकता के आधार पर बिहार का नंबर दिया जाएगा। उल्लंघन किये जाने पर 5000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।