पटना ब्‍यूरो ।भगवान शिव और माता पार्वती का सबसे प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी में 8 मार्च शुक्रवार को प्रात: 08.11 बजे तक श्रवण नक्षत्र एवं इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र के युग्म संयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग के शुभकारी संयोग में मनायी जाएगी। इस दिन शिव योग व श्रवण होने से अतिपुण्यकारी संयोग भी बन रहा है.महाशिवरात्रि के दिन मंदिर व शिवालयों को नाना प्रकार के पत्र, पुष्प व आकर्षक बल्बों से सजाया जायेगा। श्रद्धालु गंगाजल, दूध-दही, मधु, पंचामृत, चंदन, भस्म, फूलमाला, बेलपत्र, धतूरा, भांग, इत्र, अभ्रक, ऋतुफल, मिष्ठान व पान-सुपारी से शिव की पूजा-अर्चना तथा व्रत करेंगे। इस दिन नर्मदेश्वर शिवलिंग, स्फटिक शिवलिंग, पार्थिव शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा होगी। मंदिरों में पुरे दिन जलाभिषेक, रुद्राभिषेक के बाद संध्या बेला में शिव श्रृंगार किया जायेगा।

-शिव योग विद्यमान रहेगा।
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य राकेश झा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर 8 मार्च को शिव के प्रिय श्रवण नक्षत्र व शिव योग विद्यमान रहेगा। इसके अलावे इस दिन सर्वकामना पूर्ति करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है.ऐसे शुभ योग में उमा-महेश्वर की अराधना बहुत ही फलदायी होगी। श्रद्धालु व्रत, पूजा और पाठ के साथ जलाभिषेक व रुद्राभिषेक कर शिव-पार्वती की कृपा पाएंगे .चारों पहर में भोलेनाथ की विधिवत पूजा होगी .श्रद्धालु पूजा के बाद ओम नम: शिवाय, हर हर महादेव, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर, शिव तांडव, लिंगाष्टक, बिल्वाष्टक, शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ कर अपने आराध्य को प्रसन्न करेंगे।
-शिव योग में निकलेगी शिव बारात
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की बारात शिव योग में निकाली जाएगी। इस मौके पर शहर के विभिन्न जगहों से शिव की झांकी निकलेगी। जिसमें शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी तथा गण का वेश धारण कर शिव भक्त सम्मिलित होंगे। इसी योग में उमा-महेश्वर की शादी होगी।
-सहस्त्र अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य
पंडित झा ने सूर्य पुराण के हवाले से कहा कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने निकलते है.इसीलिए इस दिन पूजन से सालभर के शिवरात्रि के समान पुण्य मिलता है.शिवरात्रि का पूजा करने से श्रद्धालुओं को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ तथा सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है.पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था.