पटना(ब्यूरो)। अगर फलों के राजा आम का स्वाद लेने के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए है। बिहार में अभी आम की फसल तैयार होने में कुछ देरी है, लेकिन पके आम का स्वाद आप ले सकते हैं। रत्नागिरी का विश्व प्रसिद्ध आम अल्फांसो भी बाजार में पहुंच चुका है। अल्फांसो के साथ ही भागलपुरिया मालदह, जरदालु, बंबइया, मद्रासी, गुलाब खस, के साथ-साथ तोतापरी आम भी बाजार में उपलब्ध हैं।

विश्व भर में प्रसिद्ध है अल्फांसो

अल्फांसो अपने स्वाद, मिठास और सुगंध की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध है। आम की सबसे अच्छी किस्मों में यह शामिल है और इसे जीआइ टैग भी मिला हुआ है। मार्च के अंत में ही इसकी फसल तैयार हो जाती है। मई तक यह मिलता है। हल्के गुलाबी रंग में इस आम का वजन 150 ग्राम से 300 ग्राम के बीच होता है।

एक सप्ताह बाद तक नहीं होता खराब

इस आम की एक खासियत यह भी कि पकने के बाद भी एक सप्ताह तक यह खराब नहीं होता। इनकम टैक्स गोलबंर फल मंडी के विक्रेता सन्नी ने बताया कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह से इसकी आमद हो रही है। प्रतिदिन 15 पेटी अल्फांसो आ रहा है। इसके अलावा, ओडि़शा का मालदह, मद्रास का गुलाब खास और महाराष्ट्र का पायरी आम भी पटना की फल मंडियों में उपलब्ध हो गया है। पायरी आम का स्वाद अल्फांसो जैसा ही होता है। फल विक्रेता ललन का कहना है कि सप्ताह भर में बैगलपल्ली और तोतापरी आम भी बाजार में आ जाएंगे।

बीमार कर सकता है आम

गर्मी के मौसम का मजा आम स्वाद से दोगुना रहता है। मगर जरा सी लापरवाही लोगों को बीमारी दे सकती है। इस समय आप जो आम खा रहे हैं, उसे कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जा रहा है। इसे खाकर बड़ी तादाद में लोग डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं। डॉक्टर का मानना है कार्बाइड से पके आम खाने से शरीर में गर्मी पनप जाती है, जो फोड़े फुंसी के रूप में शरीर के बाहर निकलती है।

फलों को जल्द पकाने की प्रक्रिया खतरनाक

डाक्टर भी मानते हैं कि शरीर में जाने वाले रसायन दिमाग तक आक्सीजन की आपूर्ति और नर्वस सिस्टम को बहुत तेजी से प्रभावित करता है। जो आम लंबे समय तक बाजार में मौजूद रहता है, वह पूरी तरह से कार्बाइड से पकाया जाता है।

कैंसर के वाहक हैैं कार्बाइड से पके आम

फूड एक्सपर्ट व डायटिशियन डॉ। विद्या बताती हैं कि पके आम में विटामिन ए की मात्रा अधिक हो जाती है। आम में बीटा कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में कारगर है। परंतु बाजार में थोड़े से पैसे की लालच में बड़ी मात्रा में कार्बाइड से पकाया हुआ आम बिक रहा है। बता दें कि कार्बाइड बहुत गर्म होता है, इसलिए जब यह शरीर के अंदर जाता है तो ये गर्मी एलर्जी के रूप में बाहर निकलती है। कार्बाइड में कैंसर पैदा करने के तत्व भी मौजूद होते हैं। न्यूरोलॉजिकल डिस्आर्डर जैसे शरीर में झुझुनी-सनसनी जैसे लक्षण सामने आते हैं। गर्भवती महिला कार्बाइड से पके आम खाती है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है।

पानी में घंटों रख कर ही करें आम का सेवन

ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी आम लाएं उसे कुछ घंटों के लिए पानी में रखने के बाद ही उसका सेवन करें। आम के सेवन से डायबिटीज मरीज को बचना चाहिए। संवेदनशील स्वास्थ्य वाले लोगों को इसके सेवन से एलर्जी या गले में खरास की समस्या हो सकती है। गले में खरास तब होती है जब आम के ऊपरी हिस्से को ठीक से साफ नहीं किया जाता या काटते वक्त उसका दूध नहीं निकाला जाता है। इससे खुजली या सूजन की समस्या भी हो सकती है।

ऐसे पकाते हैं फल

30 किलो आम को पकाने के लिए 200 ग्राम कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जाता है। कार्बाइड अखबार में लपेटा जाता है और आम से भरे डिब्बे में रख दिया जाता है। गर्मी और एसिटिलीन गैस की वजह से आम तेजी से पकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में फल का क्लारोफिल कम हो जाता है। साथ ही उसमें पाया जाने वाला पानी भी सूख जाता है, जिसकी वजह से फलों में पाई जाने वाली एंटीआक्सिडेट कम हो जाते हैैं।

कार्बाइड पर प्रतिबंध

हमारे देश में खाद्य अपमिश्रण के अधिनियम के तहत फलों को कैल्शियम कार्बाइड से पकाने पर प्रतिबंध है। इसके दोषी को छह माह तक की सजा और जुर्माना देने का भी प्रावधान है, लेकिन फल विक्रेता बिना किसी रोक-टोक के गोरखधंधा चला रहे हैं।

बाजार में उपलब्ध आम

अल्फासो, ओडि़शा का मालदा, भागलपुरिया मालदा, मद्रासी गुलाबखास, महाराष्ट्र का पायरी, बैगलपल्ली, तोतापरी, जर्दालु, बंबइया।

दुधिया मालदा का है इंतजार

पूरे बंगाल से लेकर बिहार तक फलो का राजा आम की सबसे लोकप्रिय वेराइटी में से एक है मालदह। बिहार में दूधिया मालदह का सबको इंतजार है। आम के थोक विक्रेता मो जमालुद्दीन खान ने बताया कि बिहार के लोगों को दूधिया मालदा का इंतजार है। फिलहाल यह आम आने में कम से कम 20 दिन का समय लगेगा। मालदह की भी करीब 75 वेराइटी है। बिहार में दीघा मालदह व दीघा के ही दूधिया मालदह का सबको इंतजार रहता है। हालांकि यह आम बारिश के बाद खाने योग्य होता है।