-महंगाई के विरोध में विधायकों ने प्याज की माला पहन किया प्रदर्शन

-पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि का किया विरोध

PATNA: ट्यूजडे की सुबह विधानसभा लॉन का नजारा बदला हुआ दिखा। 11 बजे से शुरू होने वाले प्रश्नकाल से पहले आरजेडी की महिला विधायकों ने सिर पर छोटा गैस सिलेंडर रख विरोध किया। लेकिन विरोध के लिए ये अवैध सिलेंडर आखिर कहां से लाए गए इसकी भी चर्चा होती रही। गैस कीमतों में लगातार वृद्धि को लेकर विधायकों में आक्रोश दिखा। पांच किलो वाला सिलेंडर महिला विधायकों ने लगभग बीस मिनट तक अपने सिर पर रखा। वो इसे घर से लेकर आयीं थीं। आरजेडी विधायकों ने भी महिला विधायकों का साथ दिया। वे प्याज की माला पहन प्रदर्शन कर रहे थे। विधायकों का कहना था कि प्याज की कीमत इतनी है कि वह आम आदमी की पहुंच से दूर है।

स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज का मामला भी गूंजा

विधानसभा में प्रश्नकाल के आरंभ से पहले मंडे को पटना में स्टूडेंट्स के प्रदर्शन पर हुए लाठीचार्ज का मामला गूंजा। भाकपा (माले) ने इसे उठाया। यह कहा गया कि पुलिस के बल प्रयोग में वहां भाकपा (माले) के तीन विधायकों को भी चोट लगी है। मनोज मंजिल अपना एक्सरे लेकर सदन में पहुंचे थे। भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स पर प्रदूषित पानी भी फेंका गया। आरजेडी के भाई वीरेंद्र ने कहा कि सदन में मिठाई और बाहर पिटायी? यह नहीं चलेगा। अजीत शर्मा ने एक कांग्रेस विधायक के रिश्तेदार की हत्या का मामला उठाया।

मोबाइल पर सवाल पढ़ने पर स्पीकर बोले, इसे सदन में नहीं लाना है, इसका ख्याल रखा जाए

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान आरजेडी के आलोक मेहता मोबाइल का स्क्रीन देखकर सवाल पढ़ने लगे। यह देख ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार सीट से उठते हुए आसन की ओर मुखातिब होते हुए कहा, महोदय किस नियम के तहत मोबाइल देखकर सवाल पढ़ रहे हैं। इस पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि मोबाइल को सदन में नहीं लाना है। इसका ख्याल रखा जाना चाहिए।

स्कूल बंद था तो फीस कैसे ले रहे प्राइवेट स्कूल

विधानसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठा कि जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन में स्कूल बंद थे तो फिर निजी विद्यालय फीस क्यों ले रहे? पढ़ाई हुई नहीं और फीस के लिए दबाव काफी है। कुंदन सिंह ने बेगूसराय से जुड़े इस मामले को उठाया था। शून्यकाल में उठे इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लेते हुए कहा कि पूरे बिहार की यह स्थिति है। सरकार इस मामले को अपने संज्ञान में ले कि लॉकडाउन की अवधि में जब विद्यालय बंद थे तो फिर फीस क्यों ली जा रही?