पटना में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता सिर्फ 109 एमएलडी है, जो चार जोन में बंटा है। वर्तमान आबादी के अनुसार यह क्षमता काफी कम है। वहीं, पूरे शहर में सिर्फ 27 किमी के क्षेत्र में ही सीवरेज की पाइप फैली हुई है, जबकि इसके विस्तार के लिए कई बार योजनाएं तो बनी, लेकिन अब तक वह पूरी नहीं हो पाई है। पूरे 72 वार्ड से जो सीवरेज सिस्टम अटैच है, वह भी पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। इस लाइन में कई अपार्टमेंट और निजी घरों ने इंक्रोचमेंट कर उसे पूरी तरह से बेकार कर दिया है.
योजनाएं रह गई अधूरी
पटना के सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कई बार योजनाएं बनी, पर ये कभी धरातल पर नहीं उतारी जा सकीं। पिछले साल ही सिटी में 1300 किमी तक सीवर पाइप लाइन बिछाने पर मुहर लग चुका था, पर आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर नजर डालें तो बेऊर ऐरिया में 35 एमएलडी, पहाड़ी में 25 एमएलडी दीघा में 45 एमएलडी और करमलीचक में 4 एमएलडी का प्लांट लगा है। इस तरह कुल 109 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है.
गंगा में जा रहा पानी
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट फेल होने से सम्प हाउस से गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। इसे लेकर सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, पर आज तक स्थिति यथावत है। हालांकि अब गंगा के किनारे-किनारे बड़े सीवरेज प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिससे पानी को फिल्टर कर गंगा में डाला जा सकता है। शहर को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें आधे गंदे पानी को गंगा में और आधे को पुनपुन नदी में डाला जाता है। राजापुर न्यू, राजापुर ओल्ड, बोरिंग रोड, राजीव नगर, पाटलिपुत्रा कॉलोनी, नेहरू नगर और पुनाईचक का गंदा पानी गंगा में छोड़ा जाता है, वहीं बाकी हिस्से के गंदे पानी को बेऊर से पुनपुन नदी में छोड़ा जाता है.
पटना में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता सिर्फ 109 एमएलडी है, जो चार जोन में बंटा है। वर्तमान आबादी के अनुसार यह क्षमता काफी कम है। वहीं, पूरे शहर में सिर्फ 27 किमी के क्षेत्र में ही सीवरेज की पाइप फैली हुई है, जबकि इसके विस्तार के लिए कई बार योजनाएं तो बनी, लेकिन अब तक वह पूरी नहीं हो पाई है। पूरे 72 वार्ड से जो सीवरेज सिस्टम अटैच है, वह भी पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। इस लाइन में कई अपार्टमेंट और निजी घरों ने इंक्रोचमेंट कर उसे पूरी तरह से बेकार कर दिया है।
योजनाएं रह गई अधूरी
पटना के सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कई बार योजनाएं बनी, पर ये कभी धरातल पर नहीं उतारी जा सकीं। पिछले साल ही सिटी में 1300 किमी तक सीवर पाइप लाइन बिछाने पर मुहर लग चुका था, पर आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका.
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति पर नजर डालें तो बेऊर ऐरिया में 35 एमएलडी, पहाड़ी में 25 एमएलडी दीघा में 45 एमएलडी और करमलीचक में 4 एमएलडी का प्लांट लगा है। इस तरह कुल 109 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है।
गंगा में जा रहा पानी
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट फेल होने से सम्प हाउस से गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। इसे लेकर सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, पर आज तक स्थिति यथावत है। हालांकि अब गंगा के किनारे-किनारे बड़े सीवरेज प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिससे पानी को फिल्टर कर गंगा में डाला जा सकता है। शहर को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें आधे गंदे पानी को गंगा में और आधे को पुनपुन नदी में डाला जाता है। राजापुर न्यू, राजापुर ओल्ड, बोरिंग रोड, राजीव नगर, पाटलिपुत्रा कॉलोनी, नेहरू नगर और पुनाईचक का गंदा पानी गंगा में छोड़ा जाता है, वहीं बाकी हिस्से के गंदे पानी को बेऊर से पुनपुन नदी में छोड़ा जाता है।
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