पटना(ब्यूरो)। बिहार के गंडक नदी में घडिय़ालों की संख्या में खासी वृद्धि दर्ज की गई है। 2017 में घडिय़ालों की संख्या 30 थी। जो अब बढ़कर 217 हो गई है। भारतीय वन्य जीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के मुख्य पारिस्थितिकीविद् समीर कुमार सिन्हा ने सर्वे रिपोर्ट राज्य के मुख्य वन संरक्षक पीके गुप्ता को सौंप दी है।

284 किलोमीटर लंबे गंडक बैराज में सर्वे

भारतीय वन्य जीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के समीर कुमार सिन्हा ने बताया कि घडिय़ाल गंभीर रूप से संकट प्राय प्रजाति में हैं। नदी की पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने में इनकी अहम भूमिका होती है। तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 400 किलोमीटर लंबे घडिय़ाल अभयारण्य के बाद अब सबसे अधिक घडिय़ाल गंडक में हैं। चंबल में 1800 घडिय़ाल हैं। बताते चलें कि बिहार में गंडक नदी में 284 किलोमीटर लंबे गंडक बैराज और रेवा घाट के बीच 21 फरवरी से 28 फरवरी के मध्य सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण के दौरान 37 वयस्क, 50 उप वयस्क, 49 युवा, और 81 बच्चे देखे गए थे।

घडिय़ाल के हो संरक्षित

समीर कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार को गंडक नदी को घडिय़ाल के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए। सर्वेक्षण के दौरान मछली मारने के लिए बिजली के करंट, जाल, जहर का इस्तेमाल सामने आया था। गंडक नदी में घडिय़ाल के साथ कछुआ, ऊदबिलाव, डाल्फिन सहित विभिन्न प्रकार के लुप्तप्राय जीव जंतु हैं। संरक्षित क्षेत्र घोषित होने के बाद स्थानीय लोगों की सहभागिता बढ़ाकर इन्हें संरक्षित किया जा सकता है। चक्रवाती तूफान, कटाव सहित कई कारणों से उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं। संजय गांधी जैविक उद्यान से 30 घडिय़ालों को गंडक नदी में छोड़ा गया था।
राज्य के मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक पीके गुप्ता ने कहा कि घडियालों की संख्या बढऩा खुशी की बात है। अब हमलोग चंबल अभयारण्य के बाद देश में दूसरे स्थान पर आ गए हैं। घडिय़ालों के संरक्षण की योजना चल रही है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के बिहार-झारखंड प्रमुख डा। गोपाल शर्मा ने बताया कि गंडक नदी के संरक्षण के कारण घडिय़ालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। डब्ल्यूटीआई, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण और वन विभाग के संयुक्त प्रयास का परिणाम हैं। अंडे देने वाले स्थानों पर किसानों के सहयोग से संरक्षित किया गया। स्थानीय लोगों की सहभागिता का यह परिणाम है।