पटना (ब्यूरो)।राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 के अवसर पर बिहार में बेटियों को सशक्त बनाने की दिशा में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य से एक बच्ची के जन्म से लेकर करियर के चयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने एवं उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यपालक निदेशक अलंकृता पाण्डेय द्वारा स्वागत संबोधन के साथ किया गया। उन्होंने बताया कि आज हम सब यहां एक बच्ची के जन्म से लेकर परिवार में उसके महत्व, शिक्षा के अधिकार और करियर के चयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के समेकित उपायों के बारे चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए हैं।
यूएनएफपीए की अनुजा गुलाटी द्वारा बताया गया कि बेटे के जन्म देने के परिवारिक दबाव में महिलाओं का मानसिक बीमारिओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि पीसीपीएंडडीटी अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन और बालिकाओं को सशक्त बनाना हीं बालिका जन्म दर बढ़ाने का कारगर उपाय होगा। उनके द्वारा एसडीजी जेंडर इंडेक्स, जन्म के समय लिंग अनुपात और बिहार में बालिकाओं की वर्त्तमान स्थिति पर चर्चा किया गया।
बचपन बचाओ आन्दोलन के स्टेट कन्वेनर श्रमुक्तारुल हक एवं अरिजीत अधिकारी द्वारा बिहार में बाल विवाह से मुक्त बच्चों का आपबीती पर परिचर्चा करते हुए बताया कि कैलाश सत्यार्थी जी ने बाल-विवाह मुक्त भारत का जो प्रण लिया है सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत उसको हम और आगे ले जायेंगे। उन्होंने कहा कि आज वह दिन है कि हम बाल विवाह मुक्त बिहार बनाने का संकल्प लें।