पटना (ब्यूरो) दो वर्षों के बाद बुधवार को खालसा पंथ के 323 स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का बाग से सिखों ने नगर कीर्तन निकाला। भजन-कीर्तन और प्रवचन के बीच दोपहर लगभग चार बजे नगर-कीर्तन निकला। पटना सिटी के गुरु का बाग से निकला नगर कीर्तन अशोक राजपथ के विभिन्न क्षेत्रों से घूमते हुए देर शाम तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब पहुंचा। पुष्प वर्षा के बीच धार्मिक नारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा था।

पंच-प्यारों ने की अगुवाई
बैसाखी जुलूस की अगुवाई पंच-प्यारे कर रहे थे। नगर-कीर्तन में श्री गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह बालक व बालिकच् उच्च व मध्य तथा श्री गुरु नानक सेंट्रल स्कूल कच् बच्चों का मार्च पास्ट आकर्षक था। रंग-बिरंगे पोशाक में सच्े बच्चे विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजा अपनी धुनों पर सबको झूमा रहे थे।
नारों से गूंजता रहा मुख्यमार्ग
वाहि गुरु जी का खालसा, वाहि गुरु जी की फतेह राज करेगा खालसा, आकी रहे न कोय बोले सो निहाल- सत श्री अकाल जैसे धार्मिक नारों से वातावरण गूंजयामान था। बैंड बाजों पर देहि शिवावर मोहि इहै आदि धार्मिक धुन माहौल को भक्तिमय बना रहे थे। सुशोभित रथ पर जत्थेदार ज्ञानी रंजीत ङ्क्षसह गौहर-ए-मस्कीन व ग्रंथी ज्ञानी रौशन ङ्क्षसह व दिलीप ङ्क्षसह सेवा कर रहे थे। शोभायात्रा का मुख्यमार्ग में जगह-जगह स्वागत किया गया।

अखंड-पाठ की हुई समाप्ति
गुरु का बाग में तीन दिनों से चल रहे अखंड पाठ की समाप्ति बुधवार को हुई। इसके बाद अमृतसर के रागी जत्था भाई मंजीत ङ्क्षसह संत तथा सरबजीत ङ्क्षसह, पटना साहिब हजूरी रागी जत्था के भाई योगेंद्र ङ्क्षसह बिट्टू, नवींद्र ङ्क्षसह, कवींद्र ङ्क्षसह ने शबद कीर्तन से संगत को निहाल किया। हजूरी कथावाचक ज्ञानी चरणजीत ङ्क्षसह, कथावाचक ज्ञानी दलजीत ङ्क्षसह ने खालसा पंथ की स्थापना पर प्रकाश डाले।

फूलों की बारिश कर रहे थे श्रद्धालु
खालसा सृजना दिवस की पूर्व संध्या पर निकले नगर कीर्तन में शामिल महिला-पुरुष सिख श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और आस्था के साथ दशमेश गुरु श्री गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह महाराज के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराया। नगर-कीर्तन में आगे-आगे हाथी व ऊच्ट पर बच्चे सवार थे। पीछे बैंड-बाजा, कीर्तनी जत्था व पालकी के आगे पंज-प्यारे हाथ में तलवार लिए चल रहे थे। गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी जहां से गुजर रही थी उस पर श्रद्धालु फूलों की बारिश कर रहे थे। सिख श्रद्धालु नर-नारियों द्वारा मुख्य मार्ग पर जल छिड़काव कर झाड़ू से सफाई की जा रही थी। उसके पीछे सफाई किए गए मार्गों पर गेंदा के फूल का छिच़्काव बच्चे, युवक-युवतियां व वृद्ध श्रद्धालु कर रहे थे। नगर कीर्तन में रथ के आगे पंच-प्यारे चल रहे थे। पीछे बीबी गुरचरण कौर, जसबीर कौर, कवलजीत कौर, किरण के नेतृत्व में महिलाएं कीर्तन करते चल रही थी।

पुलिस बल दिखे तैनात
दो वर्षों के बाद अशोक राजपथ पर दोनों ओर नगर-कीर्तन की एक झलक पाने की होड़ लगी थी। सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह पुलिस बल को तैनात किया गया था। पूरब दरवाजा में श्री गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह विद्यालय के पूर्व प्राचार्य सरदार कमलजीत ङ्क्षसह, इंद्रजीत ङ्क्षसह बग्गा व सतनाम बग्गा की ओर से नगर कीर्तन में शामिल श्रद्धालुओं के बीच शर्बत व खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। बैसाखी को लेकर तख्त श्री हरिमंदिर जी गुरुद्वारा की विशेष साज-सज्जा की गयी है।

खालसा सृजना दिवस का गुरुवार को मनाया जायेगा।
इधर नगर-कीर्तन के तख्त साहिब पहुंचने पर कीर्तन दरबार सजा। इसमें कीर्तनी जत्थाओं में अमृतसर के रागी जत्था भाई मंजीत ङ्क्षसह संत तथा सरबजीत ङ्क्षसह ने शबद कीर्तन कर संगत को निहाल किया। कथावाचक ज्ञानी चरणजीत ङ्क्षसह ने खालसा सृजना दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला। नगर कीर्तन में प्रबंधक कमेटी के वरीय उपाध्यक्ष सरदार जगजोत ङ्क्षसह सोही, महासचिव सरदार इंद्रजीत ङ्क्षसह, सचिव सरदार हरवंश ङ्क्षसह, सदस्य सरदार राजा ङ्क्षसह, सदस्य गुरङ्क्षवदर ङ्क्षसह, पूर्व महासचिव सरदार सरङ्क्षजद्र ङ्क्षसह, मोकामा के सरदार गुरजीत ङ्क्षसह, प्रबंधक दलजीत ङ्क्षसह, सरदार त्रिलोक ङ्क्षसह, सरदार मंजीत ङ्क्षसह, सरदार पपींद्र ङ्क्षसह, महाकांत राय समेत अन्य थे।