पटना(ब्यूरो)। ङ्क्षहदी भले ही राष्ट्र भाषा न बनी हो लेकिन यही राष्ट्र की भाषा है। इसके विकास में हम सभी को योगदान देना चाहिए। इसमें देश को एक सूत्र में जोडऩे की महान क्षमता है। साहित्य को समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होना चाहिए। नए लेखकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। ये बातें प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को बिहार ङ्क्षहदी साहित्य सम्मेलन की ओर से आयोजित 42वें महाधिवेशन के उद्घाटन पर कही। आजकल हमारे बच्चे मोबाइल के आदी हो गए हैं। साहित्य की पुस्तकें बच्चों से दूर होती जा रही हैंं। पुस्तकें हमारी मित्र और मार्गदर्शक हैं। साहित्य से नई पीढ़ी को जोडऩे की जरूरत है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल को सर्वोच्च मानद उपाधि Óविद्या-वाचस्पतिÓ से विभूषित किया गया। इस दौरान लेडी गर्वनर अनघा आर्लेकर, सम्मेलन के अध्यक्ष डा। अनिल सुलभ, पूर्व सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा समेत अन्य मौजूद थे। राज्यपाल ने ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के कुलपति प्रो। चक्रधर त्रिपाठी, काशी वाराणसी विरासत फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो। राम मोहन पाठक, दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा। राजकुमार नाहर, नेपाल की विदुषी प्रो। कंचना झा सहित 21 लोगों को ङ्क्षहदी क्षेत्र में बेहतर योगदान देने के लिए पुरस्कृत किया। इस अवसर पर डा। पूनम आनंद की लघु कथा 121 लघु कथाएं, पर्यावरणविद् कवि डा। मेहता नगेंद्र ङ्क्षसह की पुस्तक पेड़ की ङ्क्षचता, सम्मेलन पत्रिका व महाधिवेशन विशेषांक का विमोचन किया गया।

राजेंद्र बाबू के प्रयास से हुई थी सम्मेलन की स्थापना :

डा। अनिल शर्मा जोशी ने कहा कि राजेंद्र बाबू की ङ्क्षहदी सेवा अत्यंत मूल्यवान है। पूर्व सांसद डा। रवींद्र किशोर सिन्हा ने कहा कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए ङ्क्षकतु अभी तक हम ङ्क्षहदी को राष्ट्र भाषा घोषित नहीं कर सके। यह अत्यंत दुख की बात है। डा। अनिल सुलभ ने कहा कि डा। राजेंद्र प्रसाद की प्रेरणा व प्रयास से बिहार ङ्क्षहदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई थी। सम्मेलन देशरत्न की सेवाओं का हमेशा ऋणी रहेगा। कृषक विमर्श पर प्रो। राम मोहन पाठक ने कहा कि साहित्य में कृषि की बात न हो तो साहित्य भी अधूरा लगता है। भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के पूर्व कुलपति प्रो। अमरनाथ सिन्हा, डा। विनोद कुमार सिन्हा, पद्मकन्या महिला महाविद्यालय काठमांडू नेपाल की प्राध्यापिका प्रो। कंचन झा, प्रो। मंगला रानी, डा। अवधेश के नारायण ने अपने विचार दिए। कार्यक्रम समापन के पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा.शंकर प्रसाद ने अपने गीत गजलों से सभी का दिल जीता। दूरदर्शन बिहार के प्रमुख व तबला वादक डा। राजकुमार नाहर ने अपनी प्रस्तुति से सभी का दिल जीता। डा। पल्लवी विश्वास के निर्देशन में नृत्य नाटिका आनंद भैरवी की प्रस्तुति कलाकारों ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया।