- प्रदूषण फैला रही इंडस्ट्रियल यूनिट को बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड करेगा दंडित

PATNA: बिहार में अब प्रदूषण फैलाने वाले इंडस्ट्रियल यूनिट पर लोकल स्तर से कार्रवाई की जा सकेगी। पहले यह अधिकार लोकल स्तर पर नहीं था। अब बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर्यावरण कानूनों के अनुपालन के निर्देश जारी करने के साथ ही जुर्माना भी वसूल करेगा। पर्यावरण पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए इसे बड़ी पहल मानी जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देश के बाद बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी खुद जुर्माना लगा सकेगा। बिहार की राजधानी पटना भीषण प्रदूषण से त्रस्त है और यहां सांस समेत अन्य बीमारियां बढ़ रही है। इस बाबत ये निर्देश लोगों के स्वास्थ्य को बचाने में बड़ा कदम होगा। साथ ही पर्यावरण नियमों को तोड़ने को लेकर जो मामले कोर्ट में लंबे समय तक चलते रहते थे, अब उस पर भी लगाम लगेगी।

गाइडलाइन से तय होगा जुर्माना

बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डॉ अशोक घोष ने बताया कि इसे सिर्फ जुर्माना नहीं बल्कि पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के कारण आवश्यक क्षतिपूर्ति (कंपनसेशन) के तौर पर देखा जाना चाहिए। बोर्ड अब प्रदूषण फैला रही इकाइयों को दंडित कर सकेगा। उन्होंने बताया कि एनजीटी ने दिशा-निर्देश दिया है कि जुर्माना किस तरह से और किस आधार पर होगा। इसे लेकर गाइडलाइंस भी जारी की गई है। इनमें प्रमुख रूप से ये बातें शामिल है जैसे, कितने दिन से प्रदूषण नियमों का उल्लंघन हो रहा है, कितनी आबादी पर उसका असर पड़ा। जानकारी हो कि एनजीटी एक संवैधानिक संस्था है। इसके दायरे में देश में लागू पर्यावरण, जल, जंगल, हवा और जैवविवधता के सभी नियम-कानून आते हैं।

ट्रिब्यूनल में दे सकते हैं चुनौती

2 जून 2010 को भारत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कानून अस्तित्व में आया था। 1992 में रियो में हुई ग्लोबल यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस ऑन एन्वॉयरनमेंट एंड डेवलपमेन्ट में अन्तरराष्ट्रीय सहमति बनने के बाद से ही देश में इस कानून का निर्माण जरूरी हो गया था। भारत की कई संवैधानिक संस्थाओं ने भी इसकी सिफारिश की थी। ट्रिब्यूनल यानी एक विशेष कोर्ट। इसे न्यायाधिकरण कहते है, इसके माध्यम से क्षेत्र विशेष संबंधी मामले पर कार्रवाई की जा सकती है।