-हफ्तेभर में कोरोना जांच हो गई दोगुनी

-पीएचसी लेवल पर जांच की सुविधा बढ़ाने से बनी बात

-अब अधिकांश लोग करा रहे एंटीजन टेस्ट

PATNA: बिहार में कोरोना की जांच हफ्तेभर में दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है। कोरोना के बढ़ते नए मामले और संक्रमण रेट 14 परसेंट से भी ज्यादा होने के बाद जांच में तेजी लाई गई है। यही वजह है कि अब रोज प्रदेश लेवल पर 22 हजार से अधिक कोरोना टेस्टिंग हो रही है। जबकि एक हफ्ता पहले तक 10 हजार या उससे भी कम जांच हो रही थी। टेस्ट की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास एक माह से चल रहा था। लेकिन जमीनी तौर पर अब कामयाबी मिली है। यदि जुलाई में प्रतिदिन टेस्ट का आकलन करें तो पता चलता है कि पहली बार 14 जुलाई को 1 दिन में 10 हजार टेस्ट करने का आंकड़ा मिला। जबकि पूरे जुलाई में सबसे कम टेस्ट 7 जुलाई को किया गया। 7 जुलाई को 24 घंटे में 5168 टेस्ट किए गए। पूरे महीने टेस्ट के साथ-साथ रिकवरी रेट भी बढ़ता और घटता रहा।

ऐसे बढ़ा टेस्ट का ग्राफ

बिहार में कोरोना के बढ़ते केसेस को देखते हुए टेस्ट में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन कुछ तकनीकी कमियों की वजह से हर माध्यम से टेस्ट नहीं हो पा रहा था। मसलन टीबी जांचने वाली मशीन से टेस्ट शुरू करने में करीब डेढ़ महीने का समय लग गया। रैपिड एंटीजन किट से जांच शुरू कर दी गई। ट्रूनेट से भी जांच शुरू की गई। जब से हर पीएचसी और अर्बन पीएचसी में जांच की सुविधा शुरू की गई तब से तेजी आई है। अनुमान के मुताबिक करीब 4000 से अधिक टेस्ट केवल रैपिड एंटीजन किट से हो रहे हैं। इसके अलावा ट्रूनेट से एनएमसीएच सहित अन्य हॉस्पिटल्स में जांच हो रही है।

11 परसेंट तक रिकवरी में कमी

प्रदेश लेवल पर पटना समेत राज्य के मेडिकल कॉलेजों और अनुमंडल स्तर अस्पतालों से लेकर पीएससी लेवल तक जांच की सुविधा शुरू करने के की मुहिम जुलाई में सामने आए। पूरे महीने के जांच के साथ-साथ रिकवरी रेट का आकलन करने पर पता चलता है कि जहां 1 जुलाई को बिहार का रिकवरी रेट 77.52 परसेंट था वह अगले 30 दिनों में घटकर 66 परसेंट रह गया। इस दौरान 1 से 20 जुलाई तक रिकवरी रेट में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहा। 20 जुलाई को रिकवरी रेट 63.87 प्रतिशत था जो 6 जुलाई को 74. 25 प्रतिशत आंका गया। 4 से 1 जुलाई दौरान रिकवरी रेट लगभग 76 परसेंट हो गया।

पटना में 8000 से अधिक जांच

पूरे प्रदेश में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित पेशेंट पटना जिले से मिल रहे हैं तो वही जांच भी सबसे अधिक हो रही है। टेस्ट का आकलन करें तो पता चलता है कि लगभग 8000 टेस्ट रोज हो रहे हैं। इसमें आरएमआरआई, एम्स पटना, आईजीआईएमएस और पीएमसीएच में आरटी पीसीआर के माध्यम से टेस्ट हो रहे हैं एनएमसीएच में ट्रूनेट से और पटना जिले के 23 पीएचसी और 25 अर्बन पीएचसी में रैपिड एंटीजन किट से जांच किए जा रहे हैं इसके अलावा कुछ मोबाइल यूनिटों से भी जांच की सुविधा शुरू की गई है।

आईजीआईएमएस का बड़ा रोल

बिहार में जांच की रफ्तार बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान आईजीआईएमएस का है। आईजीआईएमएस में बिहार के 18 जिलों के सैंपल की जांच हो रही है। जब से कोरोना की जांच शुरू हुई है तभी से आईजीआईएमएस और अन्य सेंटरों पर जांच की सुविधा शुरू करने में इसकी अहम भूमिका रही। यहां के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड पूर्व हेड डॉक्टर एसके शाही ने आईजीआईएमएस में जांच की सुविधा शुरू की । उन्होंने आई सी एम आई आर के निर्देश पर पटना समेत बिहार के सभी नए टेस्टिंग सेंटर ओपन टेस्टिंग के लिए ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई। एम्स पटना के टेक्नीशियन भी यहां से टेस्टिंग की ट्रेनिंग पूरी की।

कोरोना जांच (प्रदेश स्तर पर)

31 जुलाई 22,742.

30 जुलाई 20,801.

29 जुलाई 17,794.

28 जुलाई 16,275.

27 जुलाई 14,236.

26 जुलाई 14,199.

25 जुलाई 12,461.

24 जुलाई 10,456.