- एनसीसी सर्किल में फॉगिंग मशीन को लेकर चल रहा है काम

- तीन नई मशीनों में मच्छर मारने के लिए डाला जा रहा कई केमिकल

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क्कन्ञ्जहृन्: शहर की सड़कें संकरी हैं। नई छोटी मशीनों ने जवाब दे दिया है। ऐसे में निगम के सामने फॉगिंग करना बड़ा सवाल बनता जा रहा है, पर अब इस सवाल का जवाब देने के लिए निगम के एक्जीक्यूटिव्स ने कमर कस ली है। फॉगिंग को लेकर उठने वाले सवालों से निपटने के लिए अब मशीनों को 12 घंटे तक लगातार यूज किया जा रहा है। नूतन राजधानी सर्किल इसका एक उदाहरण बना हुआ है, जहां पर गलियों तक पहुंचने के लिए उस लेवल की मशीन का यूज किया जा रहा है। एनसीसी सर्किल के एक्जीक्यूटिव विशाल आनंद ने बताया कि ट्रैक्टर पर होने की वजह से फॉगिंग मशीन को लेकर अंदर तक जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। हर वार्ड के आधे से अधिक एरिया तक पहुंच नहीं पाने में मुश्किल आती थी। उस पर से पोर्टेबल मशीन के खराब होने की वजह से और भी परेशानी बढ़ रही थी। ऐसे में फॉगिंग मशीन को नया लुक देना और उससे काम लेना एक बड़ा चैलेंज थे, पर हमलोग इसे रिक्शा, ऑटो और वैन रूप देते हुए अब हर गलियों तक पहुंचकर फॉगिंग कर पा रहे हैं।

किंग फॉग का कर रहे यूज

फॉगिंग के लिए डीजल के साथ बेअर कंपनी के किंग फॉग को मिलाया जा रहा है। इसका असर अधिक समय तक रहता है और यह केमिकल मच्छरों पर अधिक समय तक प्रभाव डालता है। जानकारी हो कि किंग फॉग का इस्तेमाल पुणे, मुंबई और दिल्ली में होता है। वहां के रिजल्ट को देखते हुए ही इस तरह का कदम बढ़ाया गया है। जानकारी हो कि सिर्फ एनसीसी सर्किल में चार छोटी इसमें रिक्शा और ऑटो वाली फॉगिंग मशीन का यूज किया जा रहा है। यही हाल, बांकीपुर सर्किल, कंकड़बाग सर्किल और पटना सिटी सर्किल का भी है, जहां मच्छरों को मारने के लिए कई तरकीब का इस्तेमाल किया जा रहा है।

Point to be noted

70 लिटर डीजल हो रहा यूज

इन मशीनों में सत्तर लिटर डीजल का यूज होता है। इसके लिए क्90 लिटर डीजल में एक लिटर मिलाया जाता है, फिर इसके बाद उसे मशीनों में सत्तर लिटर के रूप में अलग-अलग डाला जाता है और उसका यूज किया जाता है। यह काफी इफेक्टिव होता है और इससे मच्छर को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।