पटना ब्यूरो।नए तकनीक से तीन सेंटीमीटर तक के किडनी या यूरिन की थैली की पथरी को बिना सर्जरी लेजर से निकाल दिया जा रहा है। यही नहीं यदि पथरी की साइज इससे भी बड़ी है तो कंबाइंड तकनीक से निकाला जा रहा है.ऐसे में मरीज को कम तकलीफ होती है, तो वहीं खून स्त्राव भी कम होता है। मरीज एक से दो दिन में डिस्चार्ज हो जाता है। यह कहना था फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक व जनरल सर्जन डॉ। संतोष कुमार और निदेशक डॉ। बीबी भारती का। शुक्रवार को हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों के साथ एक जागरूकता संवाद में डॉ। संतोष कुमार ने कहा कि लेजर और लेप्रोस्कोपी की विविध तकनीक ने कई तरह की सर्जरी को बेहद आसान और कम तकलीफदेह बना दिया है। फोर्ड हॉस्पिटल में भी यह सुविधा उपलब्ध है। यहां भी लेजर और लैप्रोस्कोपी विधि से किडनी, पेशाब की थैली, यूरिन की नली आदि का ऑपरेशन किया जा रहा है। यहां तक की प्रोस्टेट ग्लैंड का ऑपरेशन भी लेजर से किया जा रहा है।लैप्रोस्कोपी तकनीक से दो साल तक के बच्चे के यरिन के रास्ते में खराबी (पाइलोप्लास्टी) का इलाज भी किया जा रहा है।
वहीं हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट डॉ। नितेश कुमार का कहना था कि तकनीक काफी ज्यादा एडवांस होता जा रहा है। इतना एडवांस हो गया है कि किडनी के कैंसर, प्रोस्टेट के कैंसर और ब्लाडर कैंसर जैसी मुश्किल बीमारियों का इलाज भी लैप्रोस्कोपी या दूरबीन विधि से किया जा रहा है। इसमें भी बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती है।