-अंतिम दिन चरित्रवन में लिल्ली-चोखा का भोग, जुटते हैं लाखों श्रद्धालु

BUXAR/PATNA: अनूठे पंचकोसी यात्रा मेले की शुरुआत रविवार को बक्सर के अहिरौली से हुई। मान्यता है कि अयोध्या के राजमहल से पहली बार भगवान राम ने बक्सर भूमि के लिए ही पांव निकाले थे। उन्होंने महर्षि विश्वामित्र के आमंत्रण पर बक्सर के चरित्रवन में रहते हुए ऋषि मुनियों के यज्ञ में बाधक बन रहे राक्षसों का संहार किया था। इस दौरान भगवान राम ने चरित्रवन के आस-पास पांच कोस के दायरे में रहने वाले ऋषि-मुनियों के यहां एक-एक रात बिताते हुए पांच प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। इसी की याद में बक्सर में पंचकोस

यात्रा मेला की परंपरा चली आ रही है। पांच दिन के इस मेले में श्रद्धालु पांच कोस की दूरी पर पांच दिन अलग-अलग जगह पड़ाव डालते हुए पांच विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाते हैं। मेले में बिहार-उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के श्रद्धालु भाग

लेते हैं।

जत्था अहिल्या स्थान पहुंचा

यात्रा के पहले चरण में रविवार को रामरेखा घाट पर गंगा का स्नान कर साधु-संतों के साथ श्रद्धालुओं का जत्था अहिरौली स्थित अहिल्या स्थान पहुंचा। यहां परंपरा के अनुसार भक्तों ने पुआ-पकवान का भोग लगाया। सोमवार को दूसरा पड़ाव यहां से एक कोस दूर नदांव पोखर पर होगा। बताया गया कि वहां खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण कर एक रात विश्राम के बाद अगली सुबह एक

कोस दूर भभुअर पोखर पर श्रद्धालुओं का पड़ाव होगा। यहां चूड़ा-दही

का भोग लगाने के बाद चौथे दिन बड़का नुआंव में सत्तू-मूली का भोग लगाया जाएगा। जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं।

लिट्टी-चोखा से भोग

यात्रा का आखिरी पड़ाव पांचवें दिन बक्सर के चरित्रवन में आयोजित होगा। यहां श्रद्धालु लिट्टी-चोखा का भोग लगाते हैं। यात्रा के अंतिम पड़ाव पर बक्सर समेत बिहार के अन्य जिलों के अलावा कई अन्य पड़ोसी राज्यों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सभी यहां लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही घर लौटते हैं। उल्लेखनीय है कि यह मेला अपने आप में विश्व में बिल्कुल अलग और अनूठा होता है।