हाईवे पर दुर्घटना हुआ तो जान बचाना हो जाएगा मुश्किल

- एनएच 30 पर नहीं है कोई सहारा देने वाला

- टोल फ्री नंबर से लेकर इलाज की नहीं है कोई व्यवस्था

- हाईवे पर दुर्घटना के बाद जान बचाना हो जाएगा मुश्किल

PATNA : एनएच फ्0 पर यदि कोई हादसा हुआ तो उसकी जान भगवान के हाथ में ही होगा। क्योंकि यहां की सुरक्षा भगवान भरोसे है। एनएच फ्0 पर रफ्तार से बात करती गाडि़यां अक्सर नियंत्रण खोती हैं तब पता चलता है कि सरकार के दावों में कितना दम है। आए दिन हो रही घटनाओं को लेकर शुक्रवार को एनएच फ्0 की पड़ताल दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने की। वहां पहुंचने पर पता चला कि सड़क सुरक्षा का इंतजाम पूरी तरह से ध्वस्त है। पहली बार लाइव रिपोर्ट के माध्यम से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आपको बताने जा रहा है कि सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार के दावों में कितना दम है, आइए देखते हैं

- हादसे के बाद शुरू हुई पड़ताल

दैनिक जागरण की टीम जब एनएच फ्0 पटना बख्तियारपुर रोड पर निकली तो रफ्तार से बात करती गाडि़यों की भरमार दिखी। इस बीच एक कार दुर्घटना ग्रस्त हो गई। कार में सवार लोगों की हालत का तो पता नहीं चल सका लेकिन दुर्घटना जिस तरह से हुआ था उससे लग रहा था कि कार में सवार लोगों को तत्काल इलाज नहीं मिला होगा तो जान बचना मुश्किल हो जाएगा।

- हेल्पलाइन से नहीं मिलेगी कोई हेल्प

दुर्घटना के बाद सबसे पहले लोग किसी भी तरह की सहायता के लिए टोल फ्री नंबर डायल करते हैं। जब जगह-जगह बोर्ड पर लिखे टोल फ्री नंबर को डायल किया गया तो नंबर ही गलत निकला। हर बार बस एक ही जवाब आता- 'कृपया नंबर जांच लें.' लगातार प्रयास के बाद भी पटना बख्तियारपुर टॉलवे लिमिटेड के नि:शुल्क सहायता नंबर से कोई मदद नहीं मिली।

- हर दिन गुजरती हैं भ्0 हजार गाडि़यां

पटना बख्तियारपुर एनएच फ्0 पर प्रतिदिन लगभग पचास हजार गाडि़यां गुजरती हैं। नियम से गाडि़यों की सुरक्षा को लेकर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें नि:शुल्क हेल्प लाइन के साथ चिकित्सकीय सेवा शामिल है। लेकिन ऐसा नहीं है। इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

- मेडिकल एड पोस्ट ट्रैफिक एड पोस्ट बंद

टॉल प्लाजा पर मेडिकल एड पोस्ट और ट्रैफिक एड पोस्ट बनाया गया है लेकिन ये बेमतलब है। यहां कोई स्टाफ नहीं है। इसे इसलिए बनाया जाता है कि कोई भी दुर्घटना हो उसमें घायल को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा मिल जाए। लेकिन यहां बैंडेज व अन्य सामान है लेकिन कोई मेडिकल स्टाफ नहीं है जो घायल का उपचार कर सके। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब मेडिकल एड पोस्ट पहुंची तो अंदर कोई भी मौजूद नहीं था। कुर्साी मेज और मेडिकल एड के सामान टेबल पर पड़े थे लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो कुछ बता सके।

- एम्बुलेंस तो है पर चलाने वाला कोई नहीं

दुर्घटना में बचाव के लिए पटना बख्तियारपुर टॉल वे तीन एम्बुलेंस दिखी लेकिन उन्हें आपात स्थित में चलाएगा कौन? ये एक बड़ा सवाल है। मौके पर न तो मेडिकल स्टाफ मिले और न ही एम्बुलेंस चालक। ऐसे में सवाल ये है कि इन एम्बुलेंस का फायदा क्या है? केवल एम्बुलेंस को खड़ी करने के लिए ही लिया गया है। दिखने में यही लग रहा था कि काफी दिनों से एम्बुलेंस खड़ी है और उसे कहीं ले जाया ही नहीं गया है।

हाई वे पर रहें एक्टिव

जानकारों का कहना है कि हाई वे पर हमेशा एक्टिव रहना इसलिए जरुरी है। कभी-कभी ऐसी स्थिति आती है कि घायलों को तत्काल एम्बुलेंस से अस्प्ताल भेजना पड़ता है। इसके लिए मेडिकल पोस्ट और एम्बुलेंस स्टाफ को हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना के बाद लोग अन्य गाडि़यों से लादकर घायलों को अस्पताल पहुंचाते हैं।