PATNA: वोटिंग के दौरान धांधली और इसके बार-बार होने का भय के कारण ही मत प्रतिशत का कम होना, ऐसी ही परिस्थितियों में होता है। हाल का पंचायत चुनाव इस बात का साक्षी है। यदि मत प्रतिशत बढ़े तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा। उक्त बातें बीजेपी विधायक नीतिन नवीन ने एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में एडीआर और बिहार इलेक्शन वाच द्वारा पंचायत चुनाव की समस्याएं एवं मुद्दे विषय पर आयोजित सेमिनार में कही। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव लोकतंत्र की प्रथम पाठशाला है। उन्होंने सिविल सोसाइटी के सशक्तिकरण पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन बिहार इलेक्शन वाच के संयोजक राजीव कुमार ने किया।

दलीय आधार पर चुनाव पर बहस

सेमिनार के दौरान इस बात को लेकर बहस का माहौल बना जब विधायक नीतिन नवीन ने कहा पंचायत चुनाव दलीय आधार पर होना चाहिए। लेकिन लोजपा नेता सत्यानंद शर्मा ने इसका विरोध किया। कहा कि इससे पार्टी के विजयी प्रत्याशी जनता से ज्यादा पार्टी के सीनियर मेंबर की मंशा का ख्याल करेंगे।

इस दौरान बिहार विधान सभा के मुख्य सचेतक राजेंद्र कुमार ने कहा कि धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ा है। हालिया पंचायत चुनाव इसका गवाह रहा है। यही वजह है कि सामान्य या गरीब उम्मीदवार का चुनाव में हिस्सा बनना बहुत कठिन है। हालांकि उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है, अब स्वच्छ छवि के लोग भी इसमें आ रहे हैं।

जातीयता रही हावी

सेमिनार में वरीय पत्रकार अजय कुमार ने पंचायत चुनाव की समीक्षा करते हुए कहा कि यह चुनाव पूरी तरह से जातीय आधार पर लड़ा गया। जब तक ऐसे ही आधार पर चुनाव लड़ा जाएगा, एक सकारात्मक बदलाव की अपेक्षा करना कठिन है। उन्होंने बिहार इलेक्शन वाच और एडीआर को पंचायत चुनाव को गंभीरता से लेने और हस्तक्षेप की दृष्टि रखने के लिए धन्यवाद किया।

सिविल सोसाइटी से उम्मीद

सिविल सोसाइटी से बड़ी उम्मीद है। जब तक सिविल सोसाइटी चुनाव में गंभीरता से पार्टिसिपेट नहीं करेगा तब तक भावी परिवर्तन की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। ये बातें पीयूसीएल के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता मधु श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने जोर दिया कि सिविल सोसाइटी मजबूत हो, सक्रिया हो और ऐसी परिस्थितियों में ही बेहतर उम्मीदवार की कल्पना की जा सकती है।

आयोग की निष्क्रियता पर जताया रोष

सेमिनार के अंतिम सेशन के दौरान बिहार के विभिन्न जिलों से आए लोग, जिनमें बड़ी संख्या में पंचायत चुनाव में लड़े थे, ने अपनी प्रतिक्रिया दी। अधिकांश लोगों ने कहा कि पंचायत चुनाव में जमकर हिंसा हुई और आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन किया गया। लेकिन इसे लेकर राज्य चुनाव आयोग की भूमिका बेहद निराशाजनक रही। सेमिनार के सफल आयोजन में सभी प्रतिनिधियों का राजीव कुमार ने हार्दिक आभार व्यक्त किया।

जमकर मार-काट की वारदात

इस चुनाव के बारे में सभी प्रतिनिधियों ने इस बात को स्वीकार किया कि इसमें जमकर हिंसा और प्रति हिंसा का दौर चला। चुनाव परिणाम के बाद भी उम्मीदवारों की हत्या और उन्हें मारने की घटनाएं दर्ज की गई। जो कि ग्रामीण क्षेत्र में पहले इस कदर नहीं देखी गई थी।

Highlights

- सिर्फ मुखिया के चुनाव के लिए एक लाख प्रतिनिधि उम्मीदवार थे

- सभी पदों के लिए क्भ् लाख से ज्यादा लोगों ने अपना भाग्य आजमाया

- पंचायत चुनाव के बाद हिंसा -प्रति हिंसा का दौर चला

- ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव की तस्वीर में व्यापक बदलाव हुआ है